Sai Chalisa PDF – साईं बाबा को शिरडी वाले साइन बाबा के नाम से जाना जाता है। कई साल पहले इन्होंने शिरडी को अपना आध्यात्मिक केंद्र बनाया था। साईं बाबा स्टीकर महान आध्यात्मिक संत थे जिन्हें उनके चमत्कार प्रेम उपदेश और भक्ति भाव के कारण हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। आज भी लोग साईं बाबा की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं और ऐसा माना जाता है कि साईं बाबा को प्रसन्न करने के लिए साईं चालीसा का जाप करना चाहिए जिससे आपके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।
साईं बाबा का पूजा कैसे करना चाहिए और उनके चालीसा का जब आप किस प्रकार कर सकते हैं ताकि आपके घर में सुख समृद्धि बनी रहे इसकी पूरी जानकारी आज के लेख में दी गई है। नीचे दिए गए Sai Chalisa Pdf को आप एक बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं और अपनी सुविधा के अनुसार इस चालीसा को कभी भी पढ़ सकते हैं।
Book Name | Sai Chalisa PDF |
Author | Not Known |
Publish Date | 2014 |
Language | Hindi/ Sanskrit |
Publication | Not Known |
Country | India |
Must Read
Sai Chalisa Pdf
अगर आप साइन चालीसा (Sai Chalisa PDF) के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं और इसे रोजाना पढ़ना चाहते हैं तो इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी नीचे दी गई है। आपको बता दे की साईं बाबा को प्रसन्न करने के लिए साईं चालीसा का जाप करना जरूरी है।
साईं भगवान ने अपने पूरे जीवन अलग-अलग प्रकार के उपदेश दिए। वह अपने उपदेश के जरिए भक्ति भाव सभी धर्म के प्रति आदर और प्रेम का प्रचार करते थे। उस समय शुरुआत में साईं बाबा को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता था, मगर धीरे-धीरे लोग उनके अनुयाई बन और उन्होंने महाराष्ट्र में अपना एक बहुत बड़ा आध्यात्मिक मठ शुरू किया।
Sai Chalisa Lyrics in Hindi
पहले साई के चरणों में, अपना शीश नमाऊं मैं।
कैसे शिरडी साई आए, सारा हाल सुनाऊं मैं॥
कौन है माता, पिता कौन है, ये न किसी ने भी जाना।
कहां जन्म साई ने धारा, प्रश्न पहेली रहा बना॥
कोई कहे अयोध्या के, ये रामचंद्र भगवान हैं।
कोई कहता साई बाबा, पवन पुत्र हनुमान हैं॥
कोई कहता मंगल मूर्ति, श्री गजानंद हैं साई।
कोई कहता गोकुल मोहन, देवकी नन्दन हैं साई॥
शंकर समझे भक्त कई तो, बाबा को भजते रहते।
कोई कह अवतार दत्त का, पूजा साई की करते॥
कुछ भी मानो उनको तुम, पर साई हैं सच्चे भगवान।
बड़े दयालु दीनबन्धु, कितनों को दिया जीवन दान॥
कई वर्ष पहले की घटना, तुम्हें सुनाऊंगा मैं बात।
किसी भाग्यशाली की, शिरडी में आई थी बारात॥
आया साथ उसी के था, बालक एक बहुत सुन्दर।
आया, आकर वहीं बस गया, पावन शिरडी किया नगर॥
कई दिनों तक भटकता, भिक्षा माँग उसने दर-दर।
और दिखाई ऐसी लीला, जग में जो हो गई अमर॥
जैसे-जैसे अमर उमर बढ़ी, बढ़ती ही वैसे गई शान।
घर-घर होने लगा नगर में, साई बाबा का गुणगान ॥
दिग्-दिगन्त में लगा गूंजने, फिर तो साईंजी का नाम।
दीन-दुखी की रक्षा करना, यही रहा बाबा का काम॥
बाबा के चरणों में जाकर, जो कहता मैं हूं निर्धन।
दया उसी पर होती उनकी, खुल जाते दुःख के बंधन॥
कभी किसी ने मांगी भिक्षा, दो बाबा मुझको संतान।
एवं अस्तु तब कहकर साई, देते थे उसको वरदान॥
स्वयं दुःखी बाबा हो जाते, दीन-दुःखी जन का लख हाल।
अन्तःकरण श्री साई का, सागर जैसा रहा विशाल॥
भक्त एक मद्रासी आया, घर का बहुत ब़ड़ा धनवान।
माल खजाना बेहद उसका, केवल नहीं रही संतान॥
लगा मनाने साईनाथ को, बाबा मुझ पर दया करो।
झंझा से झंकृत नैया को, तुम्हीं मेरी पार करो॥
कुलदीपक के बिना अंधेरा, छाया हुआ घर में मेरे।
इसलिए आया हूँ बाबा, होकर शरणागत तेरे॥
कुलदीपक के अभाव में, व्यर्थ है दौलत की माया।
आज भिखारी बनकर बाबा, शरण तुम्हारी मैं आया॥
दे दो मुझको पुत्र-दान, मैं ऋणी रहूंगा जीवन भर।
और किसी की आशा न मुझको, सिर्फ भरोसा है तुम पर॥
अनुनय-विनय बहुत की उसने, चरणों में धर के शीश।
तब प्रसन्न होकर बाबा ने , दिया भक्त को यह आशीश ॥20॥
‘अल्ला भला करेगा तेरा’ पुत्र जन्म हो तेरे घर।
कृपा रहेगी तुझ पर उसकी, और तेरे उस बालक पर॥
अब तक नहीं किसी ने पाया, साई की कृपा का पार।
पुत्र रत्न दे मद्रासी को, धन्य किया उसका संसार॥
तन-मन से जो भजे उसी का, जग में होता है उद्धार।
सांच को आंच नहीं हैं कोई, सदा झूठ की होती हार॥
मैं हूं सदा सहारे उसके, सदा रहूँगा उसका दास।
साई जैसा प्रभु मिला है, इतनी ही कम है क्या आस॥
मेरा भी दिन था एक ऐसा, मिलती नहीं मुझे रोटी।
तन पर कप़ड़ा दूर रहा था, शेष रही नन्हीं सी लंगोटी॥
सरिता सन्मुख होने पर भी, मैं प्यासा का प्यासा था।
दुर्दिन मेरा मेरे ऊपर, दावाग्नी बरसाता था॥
धरती के अतिरिक्त जगत में, मेरा कुछ अवलम्ब न था।
बना भिखारी मैं दुनिया में, दर-दर ठोकर खाता था॥
ऐसे में एक मित्र मिला जो, परम भक्त साई का था।
जंजालों से मुक्त मगर, जगती में वह भी मुझसा था॥
बाबा के दर्शन की खातिर, मिल दोनों ने किया विचार।
साई जैसे दया मूर्ति के, दर्शन को हो गए तैयार॥
पावन शिरडी नगर में जाकर, देख मतवाली मूरति।
धन्य जन्म हो गया कि हमने, जब देखी साई की सूरति ॥30॥
जब से किए हैं दर्शन हमने, दुःख सारा काफूर हो गया।
संकट सारे मिटै और, विपदाओं का अन्त हो गया॥
मान और सम्मान मिला, भिक्षा में हमको बाबा से।
प्रतिबिम्बित हो उठे जगत में, हम साई की आभा से॥
बाबा ने सन्मान दिया है, मान दिया इस जीवन में।
इसका ही संबल ले मैं, हंसता जाऊंगा जीवन में॥
साई की लीला का मेरे, मन पर ऐसा असर हुआ।
लगता जगती के कण-कण में, जैसे हो वह भरा हुआ॥
‘काशीराम’ बाबा का भक्त, शिरडी में रहता था।
मैं साई का साई मेरा, वह दुनिया से कहता था॥
सीकर स्वयं वस्त्र बेचता, ग्राम-नगर बाजारों में।
झंकृत उसकी हृदय तंत्री थी, साई की झंकारों में॥
स्तब्ध निशा थी, थे सोय, रजनी आंचल में चाँद सितारे।
नहीं सूझता रहा हाथ को हाथ तिमिर के मारे॥
वस्त्र बेचकर लौट रहा था, हाय ! हाट से काशी।
विचित्र ब़ड़ा संयोग कि उस दिन, आता था एकाकी॥
घेर राह में ख़ड़े हो गए, उसे कुटिल अन्यायी।
मारो काटो लूटो इसकी ही, ध्वनि प़ड़ी सुनाई॥
लूट पीटकर उसे वहाँ से कुटिल गए चम्पत हो।
आघातों में मर्माहत हो, उसने दी संज्ञा खो ॥40॥
बहुत देर तक प़ड़ा रह वह, वहीं उसी हालत में।
जाने कब कुछ होश हो उठा, वहीं उसकी पलक में॥
अनजाने ही उसके मुंह से, निकल प़ड़ा था साई।
जिसकी प्रतिध्वनि शिरडी में, बाबा को प़ड़ी सुनाई॥
क्षुब्ध हो उठा मानस उनका, बाबा गए विकल हो।
लगता जैसे घटना सारी, घटी उन्हीं के सन्मुख हो॥
उन्मादी से इ़धर-उ़धर तब, बाबा लेगे भटकने।
सन्मुख चीजें जो भी आई, उनको लगने पटकने॥
और धधकते अंगारों में, बाबा ने अपना कर डाला।
हुए सशंकित सभी वहाँ, लख ताण्डवनृत्य निराला॥
समझ गए सब लोग, कि कोई भक्त प़ड़ा संकट में।
क्षुभित ख़ड़े थे सभी वहाँ, पर प़ड़े हुए विस्मय में॥
साईं चालीसा कब पढ़ना चाहिए
- साईं चालीसा पढ़ने के लिए आपको सुबह का समय चुनना चाहिए।
- सुबह नहाने के बाद भगवान की आरती या पूजा के दौरान आपको साईं चालीसा का जाप करना चाहिए।
- साईं चालीसा का जब आप कभी भी कर सकते हैं।
- साईं बाबा की मूर्ति या तस्वीर के सामने पढ़ने से साईं अधिक लाभ होता है।
साईं चालीसा पढ़ने के लाभ
अगर आप साइन चालीसा पढ़ते हैं तो आपको विभिन्न प्रकार का लाभ मिलता है जिसके बारे में नीचे सूचीबद्ध जानकारी दी गई है –
- रोजाना साईं चालीसा पढ़ने से आपके घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- भगवान साइन हमेशा प्रेम के ऊपर उपदेश दिया करते थे अगर आपका खोया हुआ प्यार आपको वापस नहीं मिल रहा है तो साईं चालीसा का जाप करना चाहिए।
- साईं चालीसा पढ़ने से आपके घर में क्लेश नहीं होता है और आप आसानी से घर को सुख समृद्धि से भर सकते है।
निष्कर्ष
इस लेख में Sai Chalisa PDF के बारे में जानकारी दी गई है जिसे पढ़कर आप आसानी से साईं चालीसा के बारे में समझ सकते है। अगर यह लेख आपको इस तरह के अलग-अलग जानकारी के बारे में बताता है तो इसे आप अपने मित्रों के साथ भी आसानी से साझा करें।