छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास | Chhatrapati Shivaji History

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Chhatrapati Shivaji History – छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान राजा थे। उन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। मुगल साम्राज्य के खिलाफ उन्होंने आजादी की लड़ाई शुरू की थी। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 में पुणे के पास हुआ था। Chhatrapati Shivaji ने 6 जून 1674 में राजगद्दी संभाली और 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के साथ मुगल का विशाल साम्राज्य खत्म हुआ। छत्रपति शिवाजी एक दयालु, बुद्धिमान और ताकतवर राजा के रूप में हर व्यक्ति को याद हैं।

छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji) के पास उसे वक्त की सबसे बड़ी सेना थी और उन्होंने उस वक्त भारत के सबसे बड़े सीमा पर राज किया था। आज इस History of Chhatrapati Shivaji में हम आपको छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास क्या है के बारे में जानकारी देंगे। यह भी बताएंगे कि छत्रपति शिवाजी किस प्रकार मराठा साम्राज्य को स्थापित कर पाए और इसके लिए उन्होंने क्या-क्या किया।

Chhatrapati Shivaji History in HindiOverview

Name of PostChhatrapati Shivaji History
Date of Birth 19th February 1630
Empire NameMaratha Kingdom 
Mother’s Name जिजा बाई 
Father’s Name शाहजी राजे भोसले 
कितने बच्चे थे8
लड़ाई4

शिवाजी महाराज का इतिहास PDF 

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छत्रपति शिवाजी महाराज कौन थे? | Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi

Chhatrapati Shivaji History

छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji History) को मराठा साम्राज्य के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम शिवाजी शाहजी राजे भोसले था। उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के पुणे शहर के शिवनेरी के किले में हुआ था। उनके पिता का नाम शाहजी राजे और माता का नाम जीजाबाई था।

शिवाजी के पिता शाहजी राजे बीजापुर के जनरल थे जो जुन्नार गांव में शिवनेरी किले में रहते थे। उस वक्त बीजापुर दक्कन के सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह के हाथ में था। वह एक इलाके को संभालने के लिए कुछ जनरल को स्थापित करते थे। इस तरह बीजापुर को संभालने के लिए शिवाजी के पिता को जनरल के रूप में शिवनेरी किला में रखा गया था।

जैसे-जैसे शिवाजी बड़े हुए वैसे-वैसे उन्हें सुल्तान और बाहर से आए हुए लोगों के तानाशाही विचारधारा के बारे में पता चला। जिसे खत्म करने और पूर्ण स्वराज कायम करने के लिए वो आगे बढ़े।

Chhatrapati Shivaji Biography in Hindi

Name of PostChhatrapati Shivaji History
शिवाजी का पूरा नामशिवाजी शाहजी राजे भोसले
शिवाजी के पिता का नामशाहजी राजे भोंसले 
शिवाजी के माता का नामजीजा बाई 
शिवाजी के पत्नी का नामसईबाई, सोयराबाई, पुतलाबाई,
सक्वरबाईकाशीबाई जाधव, सगुणाबाई, लक्ष्मीबाई, गुणवतीबाई
शिवाजी के भाई का नामसंभाजी महाराज (उन्होंने अपने बड़े बेटे का नाम अपने भाई के नाम पर रखा)
शिवाजी के बेटे का नामसंभाजी महाराजराजाराम प्रथम
शिवाजी के बेटी का नाम सखुबाई, रानूबाई, अम्बिकाबाई,
दीपाबाई, कमलाबाई, तथा राजकुंवरी बाई
शिवाजी की लड़ाइयां 1660 में पवन खेड़ी की लड़ाई
1664 में सूरत की लड़ाई
1665 पुरंदर की लड़ाई
4 फरवरी 1670 सीहगढ़ की लड़ाई 
शिवाजी का जन्म1630
शिवाजी की मृत्यु1680

शिवाजी का बचपन

शिवाजी महाराज बचपन से ही पढ़ाई लिखाई और खेलकूद में काफी अच्छे थे। बचपन से ही शिवाजी महाराज की पढ़ाई हिंदू धर्म के अनुसार हुई थी जिसमें उन्हें बचपन से ही महाभारत, रामायण और वेद पढ़ाए गए थे। इसके साथ-साथ वह मराठी संस्कृति और हिंदी भाषा के बहुत बड़े जानकार थे।

बचपन से ही एक बड़े जनरल के परिवार में पालने के वजह से बचपन बहुत ही महफूस था। मगर जब शिवाजी बड़े हो रहे थे तब उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और अपनी दूसरी पत्नी के साथ कर्नाटक चले गए। और अपना आगे का जीवन कर्नाटक में ही व्यतीत किया। इधर शिवनेरी किले में अपने बेटे शिवा और अपनी पत्नी जीजाबाई की देखरेख के लिए दादोजी कोंडदेव को उनके पास छोड़ दिया।

शिवाजी महाराज की शिक्षा | Shivaji Maharaj Education

उनके पिता के जाने के बाद शिवाजी महाराज के शिक्षा की जिम्मेदारी उनके पिता के वफादार दादोजी कोंडदेव ने उठाई। शिवाजी को कोंडदेव जी से हिंदी और संस्कृति की शिक्षा मिली इसके साथ ही उन्होंने शिवाजी महाराज को घुड़सवारी, तलवारबाजी और सेना से लड़ने के साथ साथ राजनीति का ज्ञान दिया।

अपने आगे की शिक्षा को बरकरार रखने के लिए शिवाजी बंगलौर गए। 12 साल की उम्र में वह अपने भाई के साथ बंगलौर चले गए और वहां अपनी शिक्षा को जारी रखा वहीं उनकी शादी 12 साल की उम्र में साईंबाई से करवा दी गई।

आगे चलकर शिवाजी महाराज ने आठ शादियां की थी। इसमें उनकी पहली पत्नी साईंबाई थी। इसके बाद सोयराबाई मोहिते, पुतलाबाई भोंसले, सकवरबाई गायकवाड़, सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, और गुणवती बाई से भी शादी की थी।

छत्रपति शिवाजी महाराज का युद्ध | Shivaji Fight 

Chhatrapati Shivaji

शिवाजी की लड़ाइयों की बात करें तो उन्होंने जीवन में बहुत सारी लड़ाइयां लड़ी। छत्रपति शिवाजी कभी भी किसी लड़ाई में हारे नहीं थे। आपको बता दे कि जब शिवाजी का जन्म हुआ तब भारत में मुगल साम्राज्य स्थापित हो चुका था।

1526 में बाबर अफगानिस्तान से भारत आता है और मुगल सम्राज्य (Mughal Empire) को खड़ा करता है। इसके बाद उसके बच्चों ने मुगल साम्राज्य को पूरे भारत में चलाया। शिवाजी ने अपने जन्म से ही मुगलों के द्वारा हो रहे अत्याचार को हिंदू धर्म पर देखा था। इस वजह से वह एक निस्पक्ष साम्राज्य की स्थापना करना चाहते थे।

छत्रपति शिवाजी बहुत ही छोटी उम्र में यह समझ गए थे कि भारत में मुगल साम्राज्य बहुत बड़े स्तर पर फैला हुआ है। उन्हें पूरी तरह खत्म करने के लिए उनके सारे किलो पर धीरे-धीरे कब्जा करना होगा। इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र के एक तोरण किले से इसकी शुरुआत की।

शिवाजी महाराज का पहला युद्ध – 

मात्र 15 वर्ष की आयु में शिवाजी महाराज ने 1645 में तोरण किले पर हमला कर के उसे जीत लिया। इसके बाद 1 साल के अंदर उन्होंने कोंडाना और राजगढ़ किले को भी जीत लिया। 

उस वक्त यह सभी इलाके बीजापुर के अंदर आते थे। जब बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी महाराज के ताकत के बारे में पता चला तो बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह ने उनके पिता शाह जी को धोखे से कैद कर लिया। इसके बाद शिवाजी ने अपने पिता की रिहाई के बदले कोंडाना और राजगढ़ के किले को वापस कर दिया। 

मगर शिवाजी महाराज इसके बाद भी अलग-अलग किलों पर आक्रमण करते रहे और अपने साम्राज्य को बढ़ाते रहे। इस पर बीजापुर का सुल्तान क्रोधित हुआ और उसने अपने कई मंत्रियों के साथ अफजल खान को एक बड़ी सेना देकर शिवाजी के खिलाफ लड़ाई के लिए भेजा। 

यह वह समय था जब शिवाजी ने गोरिल्ला युद्ध या छापामार रणनीति की शुरुआत की। आज भी इस रणनीति से युद्ध करने की कला फौजियों को सिखाई जाती है। सेनापति अफजल खान और मराठा सैनापतियों के बीच कहीं बार युद्ध हुआ इनका पहला युद्ध 1659 में प्रतापगढ़ के किले के लिए हुआ था।

इस लड़ाई में अफजल खान हार कर भाग जाता है, इसके बाद अफजल खान, शिवाजी से मिलने को तयार हुआ और उन्हें अपने घर आने का आमंत्रण दिया। आमंत्रण को स्वीकार करते हुए शिवाजी अफजल खान से मिलने गए थे। मगर उन्होंने अपने पास एक लोहे के बाघ नाखून का दास्तान छुपा कर रखा था। जब अफजल खान ने शिवाजी को मारने की कोशिश की तो उनसे गले मिलने के बहाने उन्होंने उस नाखून से अफजल खान का सीना फाड़ दिया।

इसके बाद यह बात फैल गई की 7 फुट लंबे अफजल खान को शिवाजी ने गले मिलकर मार दिया। शिवजी की मराठा सेना बहुत ही छोटी सी थी मगर अफजल खान को मारने के बाद उन्हें बड़े पैमाने पर तलवार और अलग-अलग हथियार मिले थे। जिसके बाद वह बहुत ताकतवर हो गए। गोरिल्ला युद्ध रणनीति का इस्तेमाल करके अपने मंत्रियों के साथ शिवाजी ने कोई लड़ाइयां लड़ी और लगातार लड़ते हुए बीजापुर को हराया और पूरे ढक्कन पर अपना साम्राज्य स्थापित कर दिया।

छत्रपति शिवाजी महाराज की अन्य लड़ाइयां

अफजल खान को करने के अलावा छत्रपति शिवाजी महाराज ने और भी कई लड़ाइयां लड़ी थी। 

  • 1660 में पवन खेड़ी की लड़ाई – यह लड़ाई मराठा सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और सुल्तान आदिल शाह के सेनापति सिद्दी मसूद के बीच हुआ था। जिसमें मराठा सरदार जीत गए थे।
  • 1664 में सूरत की लड़ाई – यह लड़ाई मुगल कप्तान इनायत खान और छत्रपति शिवाजी के बीच हुई थी जिसमें शिवाजी की जीत हुई थी।
  • 1665 पुरंदर की लड़ाई – इसमें राजपूत राजा जय सिंह मुगल के साथ मिलकर मराठा से लड़े थे जिसमें मराठा सरदारों की हार हुई थी और उन्हें 23 किले छोड़कर जाने पड़े थे।
  • 4 फरवरी 1670 सीहगढ़ की लड़ाई – यह लड़ाई छत्रपति शिवाजी और उनके सेनापति तनाहजी ने मुगल सेनापति और राजपूत राजा उदयभान सिंह राठौर के बीच लड़ा था। जिसमे मराठा की विजय होती है और तन्हाजी जी की मृत्यु होती है।
युद्ध तिथिपरिणाम 
1645 (मात्र 15 वर्ष की आयु में)तोरण किला पर विजय
1657जुन्नार किला की हार नासिर खान के साथ
1659 सूरत बंदरगाह पर कब्जा
1659प्रतापगढ़ की लड़ाई – शिवाजी और अफजल खान के बीच – शिवाजी की जीत अफजल खान को फाड़ दिया 
1960पवन खेड़ी की लड़ाई – मराठा और बीजापुर के आदिलशाह के बीच – मराठा सरदार प्रभु देशपांडे की सिद्धि मसूद पर जीत
1664सूरत की लड़ाई – शाइस्ता खान और छत्रपति शिवाजी के बीच – शिवाजी की जीत
1665पुरंदर की लड़ाई – राजपूत और मुग़ल मिलकर मराठा से लड़े – मराठा की हर और पुरंदर संधि – मराठा को 23 किले वापस करने पड़े
1670सिंहगढ़ की लड़ाई – राजपूत और मुगल मिलकर मराठा से लड़े – मराठा की जीत – तन्हाजी की मृत्यु – किले पर कब्जा 

छत्रपति शिवाजी को किसने हराया?

छत्रपति शिवाजी ने अपने जीवन काल में मुगल साम्राज्य, बीजापुर सल्तनत, गोलकुंडा सल्तनत और विदेशी उपनिवेशों का हमला झेला था। कई बार यह सभी दुश्मन एक साथ हो जाते और छत्रपति शिवाजी को पीछे हटाना पड़ता था। इसके बावजूद छत्रपति शिवाजी ने पश्चिमी घाट में अपना एक बड़ा साम्राज्य कायम किया था जो आगे चलकर पूरे भारत में फैल गया।

एक युद्ध 1657 में जुन्नर के किले पर हुआ था। मराठा सेना किले पर मुगल क्षेत्र पर कब्जा करने गई थी। अपनी गोरिल्ला युद्ध छापेमार रणनीति के कारण वह काफी सफल रहे थे। मगर औरंगजेब ने इस युद्ध का जवाब देने के लिए अपने सेनापति नासिर खान को भेजा और देखते ही देखते युद्ध का निर्णय बदल गया मराठा बुरी तरह हार गई और उन्हें वहां से बच कर जाना पड़ा।

हालांकि मराठा यह जंग सूरत के बंदरगाह के कारण हर थे जिस पर उन्होंने 1659 में कब्जा कर लिया। इसके बाद 1660 से मुगल साम्राज्य पर लगातार हमला करने की प्रक्रिया शुरू हुई और अंत में मुगल साम्राज्य खत्म हुआ।

शिवाजी और मुगल की लड़ाई | Shivaji Fight With Aurangzeb 

Shivaji Fight With Aurangzeb 

बीजापुर को जीतने के बाद शिवाजी महाराज की लड़ाई मुगल साम्राज्य से शुरू हो गई थी। जब शिवाजी महाराज और मुगल साम्राज्य की लड़ाई हुई तो मुगल साम्राज्य की बागडोर औरंगजेब के हाथ में थी।

1657 से शिवाजी महाराज और औरंगजेब के बीच की दुश्मनी शुरू होती है। औरंगजेब ने अपने सबसे ताकतवर मंत्री शाइस्ता खान को एक बड़ी सी सेना के साथ शिवाजी के आगे खड़ा किया। शाइस्ता खान के साथ उनकी लड़ाई पुणे में शुरू हुई थी।

पुणे में शाइस्ता खान और शिवाजी के बीच बहुत बार लड़ाई हुई। हर बार लड़ाई के बीच में शाइस्ता खान के सैनिक भाग जाते थे, तो एक रात जब शाइस्ता खान की सेना सो रही थी तब अचानक शिवाजी ने रात में हमला कर दिया और शाइस्ता खान की बहुत बड़ी सी सेना इसमें मारी गई जिस वजह से उसे भागना पड़ा।

इसके बाद राजपूत गढ़ के अम्बर के राजा जय सिंह प्रथम मराठा सेना के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हो गए। पुरान्दर की एक भीषण लड़ाई हुई जिसमें जय सिंह ने शिवाजी महाराज के सेना को हरा कर उनके द्वारा जीते हुए 23 किलो को वापस छीन लिया। इसके बाद पुरान्दर संधि 1665 हुई जिसमें शिवाजी की सेना को यह वादा करना पड़ा कि बीजापुर के खिलाफ होने वाले युद्ध में वह औरंगजेब का साथ देंगे।

शिवाजी का मुगल को खत्म करना और राजा बनना 

इस संधि के बाद औरंगजेब और शिवाजी के बीच की दुश्मनी खत्म हो गई थी। मगर संधि के बावजूद औरंगजेब ने शिवजी के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। इसके बाद उन्होंने शिवाजी महाराज और उनके बेटे को दिल्ली बुलाया और वहां उन्हें धोखे से कैद कर लिया।

जब औरंगजेब ने शिवाजी और उनके बेटे को कैद कर लिया। तब औरंगजेब के बेटे ने अपनी सूझबूझ से जेल से अपने पिता को रिहा किया। उनके मिठाई के बोरे में छुपा कर भागने की कथा आज भी खूब प्रचलित है। इसके बाद शिवाजी महाराज ने अपनी पूरी सेना के साथ औरंगजेब पर जमकर हमला किया। उन्होंने 4 महीने में कोई बार मुगल साम्राज्य के अलग-अलग क्षेत्र में हमला किया। अलग-अलग जगह पर छापा मारा तरीके से बार-बार हो रहे हमले को रोकने के लिए औरंगज़ेब ढक्कन की तरफ बढ़ा। वहां उसने अपने जीवन के 25 वर्ष मराठा के इस अभियान को रोकने में लगा दिया। और इस अभियान के दौरान जंगल में छुपाते छुपाते 1707 में उसकी मृत्यु के साथ मुगल साम्राज्य खत्म हो गया।

मराठा के महान योद्धा | Greatest Maratha Warrior Name

छत्रपति शिवाजी के अलावा मराठा में एक से एक योद्धा मौजूद थे। छत्रपति शिवाजी खुद बहुत कम लड़ाईया में हिस्सा लेते थे मगर इन ताकतवर योद्धाओं के दम पर उन्होंने पूरे भारत में अपने मराठा साम्राज्य का वर्चस्व कायम किया था।

कुछ योद्धा सेनापति के रूप में मराठा सेवा में काम करते थे। इसके साथी कुछ जनरल थे जो अपना किला लेकर छोटे से इलाके में राज करते थे। तानाजी मालशुरे ऐसे ही जनरल है। मगर प्रतापराव गुर्जर, कृष्णजी भास्कर, विसाजी बलाल कुछ ऐसे मराठा सेना के सैनापति या मंत्री है।

मराठा सेवा के ताकतवर योद्धा

Prataprao Gujar
Visaji Ballal
Dipoji Rautrao
Vithal Pilaji Atre
Krishnaji Bhaskar
Siddi Hilal
Vithoji

मराठा साम्राज्य के सहायक योद्धा

  • Tanaji malusare 
  • Bajpirabhu Deshpande
  • Baji pasalkar
  • Hiroji farzand
  • Netajirao palkar
  • Kanhojirao jedhe
  • Yesaji kank
  • Godaji jagtap
  • Moropant pingle
  • Kondaji farzand

छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 

महाराष्ट्र से कुछ लोगों के साथ सेना की एक छोटी सी टुकड़ी लेकर निकले छत्रपति शिवाजी ने पूरे मुगल साम्राज्य को खत्म करके पूरे भारत में हिंदू साम्राज्य की स्थापना की थी। शिवाजी महाराज अपने राजनीतिक ज्ञान और सैन्य कौशल के दम पर इस बड़े मोर्चे को अंजाम दिया और भारत के सिंहासन पर बैठ पाए।

छत्रपति शिवाजी कुर्मी जाति के थे उस जमाने में इस जाति को शुद्र माना जाता था। इस वजह से देश भर के ब्राह्मण शिवाजी महाराज को अपना राजा मानने को तैयार नहीं थे। यही कारण था कि शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक में कोई भी ब्राह्मण आना नहीं चाहता था। मगर बिना ब्राह्मण पूजा के राजा का राज्याभिषेक पूरा नहीं होता था। उसे समय काशी को ब्राह्मण का गढ़ माना जाता था, इस वजह से खूब सारा पैसा देकर काशी से लगभग सभी ब्राह्मणों को नेवता दिया गया था।

इसी राज्याभिषेक के दौरान शिवाजी महाराज को “छत्रपति” की उपाधि दी गई थी। हालांकि राज्याभिषेक के 12 दिन के अंदर उनकी माता जीजाबाई की मृत्यु हो गई। इसके बाद फिर से उन्होंने अपना एक राज्याभिषेक आयोजित करवाया। इस राज्याभिषेक में दूर-दूर से ब्राह्मण राजाओं को बुलाया गया था। इस कार्यक्रम में उसे जमाने के हिसाब से बहुत अधिक खर्च किया गया था इसके बाद पूरे भारत में उनका सिक्का जम गया और मराठा साम्राज्य को एक ताकतवर और अमीर साम्राज्य के रूप में जाना जाने लगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज की जाती क्या थी?

शिवाजी का अंतिम दिन और मृत्यु

Maratha Family Chart

शिवाजी महाराज की मृत्यु कैसे हुई, यह सवाल काफी रोचक है। क्योंकि हिंदू साम्राज्य के यह कुछ महान राजाओं में से एक थे जिन्होंने कभी भी कोई जंग नहीं हारी। मगर उम्र बढ़ाने के कारण बुढ़ापे और बुखार से शिवाजी 3 अप्रैल 1680 को मृत्यु को प्राप्त हुए।

हालांकि शिवाजी महाराज का अंतिम दिन काफी चिंता में बीता था। शिवाजी महाराज की 6 पुत्रियां और 2 पुत्र थे। शिवाजी महाराज ने अपने छेओ पुत्री की शादी धूमधाम से की थी। दोनों पुत्रों में वह चाहते थे कि उनका बड़ा बेटा संभाजी महाराज राजगद्दी संभाले, मगर उसे वक्त संभाजी महाराज मुगलों के बचे कुछ कॉम को खत्म करने के लिए उनमें आपसी फूट पैदा कर रहे थे और अनेकों लड़ाइयों में व्यस्त थे। जिस वजह से वह राजगद्दी से दूर हो रहे थे और यह जनता शिवाजी को खल रही थी।

उनकी पत्नी दूसरे बेटे राजाराम महाराज को राजा बनना चाहती थी। उनकी पत्नी सोराबाई अपने बेटे राजाराम को राजा बनाने के लिए महल में षड्यंत्र कर रही थी। शिवाजी जानते थे कि उनका दूसरा बेटा इतनी बड़ी साम्राज्य के संभालने के योग्य नहीं है।

छत्रपति शिवाजी ने अपने आखिरी दिनों में लगभग पूरे भारत को एक हिंदू साम्राज्य घोषित कर दिया था। वह आखरी हिंदू शासक थे जो इतने बड़े साम्राज्य पर राज कर पाए थे। अपने आखिरी दिनों में जब हर जगह त्यौहार का माहौल था तब राजमहल में तेज बुखार के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

हालांकि उसके कुछ सालों बाद मुगलों ने उनके बड़े बेटे संभाजी महाराज को धोखे से मार दिया। औरंगजेब की मृत्यु भी कुछ सालों के अंदर हो गई। मुगलों के तरफ से भी सभी शासक खत्म हो गए और मराठा की तरफ से भी सारे शासन खत्म हो गए। इसका फायदा उठाकर अंग्रेजों ने इस साम्राज्य पर राज करना शुरू किया और यहां से अंग्रेज का इतिहास शुरू होता है।

Chhatrapati Shivaji History in Hindi – Video

क्या छत्रपति शिवाजी एक हिंदू साम्राज्य के संस्थापक थे?

कुछ लोग ऐसा मानते है, कि छत्रपति शिवाजी एक हिंदू साम्राज्य के संस्थापक है। मगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है छत्रपति शिवाजी ने कभी भी किसी और धर्म के लोगों को प्रताड़ित नहीं किया था। जिस तरह मुगल साम्राज्य के शासक दूसरे धर्म के लोगों को जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाते थे छत्रपति शिवाजी ने कभी भी किसी भी व्यक्ति के साथ जबरन धर्म परिवर्तन का कार्य नहीं किया।

इसके साथ ही शिवाजी महाराज किस सेना में बहुत सारे मुस्लिम सेनानायक शामिल थे। उनके मंत्री गण और सुना नायकों में बहुत सारे वीर मुस्लिम सैनिकों के नाम आते है। हालांकि यह सच है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अधिकांश हिंदू सैनिकों के दम पर एक ताकतवर साम्राज्य की नींव रखी थी।

छत्रपति शिवाजी जयंती कब और क्यों मनाते है?

हर साल 19 फरवरी को शिवाजी के जन्मतिथि के दिन छत्रपति शिवाजी जयंती मनाई जाती है।

छत्रपति शिवाजी जयंती 19 फरवरी 2024 को बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाई जाएगी। इसका मुख्य मेला महाराष्ट्र में लगता है। इस दिन को हम महान योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी के नेतृत्व, सूझबूझ और स्वराज के प्रति संघर्ष को याद करते हैं।

FAQ

Q. छत्रपति शिवाजी को किसने हराया?

छत्रपति शिवाजी महाराज अपने जीवन में कभी भी कोई युद्ध नहीं हरे थे। 1680 में बूढ़े हो जाने के कारण बुखार से उनकी मृत्यु हो गई थी।

Q. छत्रपति शिवाजी के बाद राजा कौन बना?

छत्रपति शिवाजी के बाद राजा बनने के लिए राजमहल में बहुत सारे षड्यंत्र चल रहे थे। महाराज चाहते थे कि उनका बड़ा बेटा संभाजी महाराज राजा बने मगर उनकी दूसरी पत्नी चाहती थी कि राजाराम राजा बने। हालांकि संभाजी महाराज राजा बने थे मगर औरंगजेब के सैनिकों ने धोखे से उन्हें मार दिया था जिसमें राजमहल के लोगों का भी हाथ था। इसके बाद संभाजी के बेटे साहू जी ने अलग साम्राज्य चलाया और राजाराम ने अपना अलग साम्राज्य चलाया।

Q. मराठा सैनिकों को क्या कहते थे?

मराठा सैनिकों को द बारगिर्स कहा जाता था। बारगीर एक खास किस्म की घोड़े सवारी सेना थी, जो घोड़े पर बैठकर युद्ध किया करती थी।

निष्कर्ष

आज इस लेख में हमने आपको छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास (Chhatrapati Shivaji History) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है इसे पढ़ कर आप समझ पाए होंगे कि छत्रपति शिवाजी की पहली लड़ाई कौन सी थी उनका परिवार और उनका बचपन कैसा बीता इसके साथ ही उनके जीवन से जुड़ी कुछ अन्य रोचक जानकारी के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है।

Disclaimer

इस लेख में बताई गई पूरी जानकारी इंटरनेट और यूट्यूब वीडियो से ली गई है। अगर आपको हमारे द्वारा बताए गए किसी भी तथ्य पर संदेह है तो कमेंट के जरिए या वेबसाइट के कॉन्टैक्ट पेज के जरिए संपर्क करें।

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