प्रकृति क्या है | Prakriti Kise Kahte hai – GetinHindi

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Prakriti Kise Kahte Hai – विश्व की सभी रचनाएं या सृष्टि की सभी मूल नियामक तथा संचालक शक्ति को ही प्रकृति कहते हैं। ऐसी सभी वस्तुएं जो इस ब्रम्हांड में मौजूद है एवं कोई भी जीव जंतु उसमें अपनी इच्छा अनुसार परिवर्तन ना ला सके उसे प्रकृति कहते हैं।

Prakriti Kya Hai

आज की हमारी इस लेख में हम आपके साथ प्रकृति से जुड़े सभी प्रकार की बातों पर चर्चा करेंगे। हम आशा करते हैं इस लेख को अंत तक पढ़ने के बाद आप यह समझ पाएंगे की प्रकृति क्या है, इसकी क्या महत्वता है एवं प्राकृतिक गुणों के लाभ एवं हानियां क्या-क्या है। 

प्रकृति क्या है | Prakriti Kise Kahte hai

प्रकृति (Nature) का अर्थ स्वभाव से है। किसी भी सजीव, निर्जीव या पदार्थ आदी का स्वाभाविक रूप, गुण या तत्व जो उसके स्वरूप के मूल में होता है वही उसकी प्रकृति है। उलझन इस बात का होता है कि प्रकृति क्या है और प्राकृतिक क्या है। 

प्रकृति से आशय किसी सजीव व निर्जीव वस्तु के गुण, दोष या स्वभाव से होता है जबकि प्राकृतिक, प्रकृति से उत्पन्न होता है जैसे फल। फल प्राकृतिक है, लेकिन अपने स्वभाव व गुणों के आधार पर उत्पन्न हुआ है इसलिए उसे प्रकृति का हिस्सा मानते हैं।

प्रकृति के प्रकार | Types of Nature

प्रकृति दो प्रकार की होती है। प्राकृतिक प्रकृति और मानव प्रकृति।

  1. प्राकृतिक प्रकृति – प्राकृतिक प्रकृति के पांच तत्व होते हैं। जिन्हें पंचमहाभूत कहा जाता है। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश पंचमहाभूत है। वेदों के अनुसार मनुष्य का शरीर इन्हीं पंचतत्वों से बना है। इन पांच तत्वों को विज्ञान भी मानता है। आज प्राकृतिक प्रकृति पर मानव प्रकृति हावी है।
  2. मानव प्रकृति – मानव प्रकृति में मन बुद्धि और अहंकार शामिल है। सृष्टि के सभी पदार्थ पंचतत्वों से बनते हैं और फिर उसी में मिल जाते हैं। इस सृष्टि का अनुभव करने के लिए मन, बुद्धि और अहंकार की जरूरत होती है। मन, बुद्धि और अहंकार यह तीनों अदृश्य तत्व प्रकृति का ही हिस्सा है। यही तीनों तत्व मनुष्य को पांच तत्वों से निर्मित संसार में बांधे रखता है। 

प्रकृति के पंचतत्व 

प्रकृति में पांच तत्व मिले हुए हैं जिन्हें पंचतत्व कहा जाता है। यह पंचतत्व है आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी।

प्रकृति अद्भुत शिल्पकार की अद्भुत रचना है। प्रकृति माया है, प्रकृति ही परमात्मा है। जिसकी रचनाकार परमपिता परमेश्वर हैं जिन्हें ब्रह्म कहा जाता है। ब्रह्म के इच्छा से ही ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। प्रकृति ईश्वर की ऐसी खूबसूरत रचना है जो रहस्यों से भरपूर है और इतनी खूबसूरत है कि युगो-युगो से इसकी सौंदर्य का वर्णन मनुष्य करता आया है जो स्वयं उस प्रकृति का एक हिस्सा है। 

मनुष्य का पूरा जीवन प्रकृति पर निर्भर है। हमारे जीवन की सारी जरूरतें प्रकृति से ही पूरा होती है। प्रकृति हमें सिर्फ देती है कुछ लेती नहीं, बदले में वह सिर्फ प्राकृतिक संतुलन चाहती है। प्रकृति का वर्णन वेद,भागवत गीता आदि धर्म शास्त्रों में किया गया है।

प्रकृति हमारे श्वास लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और रहने के लिए जमीन प्रदान करती है। यह खाने के लिए फल और अन्न देती है। प्रकृति अनेक खनिज संपदा से भरी पड़ी है। प्रकृति का कण-कण शिक्षा का स्रोत है। 

हम फूलों से मुस्कुराना तो पर्वतों से विपरीत परिस्थितियों में अडिग खड़े रहना सीखते हैं। प्रकृति हमें जड़ी-बूटियां देकर हमारे स्वास्थ का भी ध्यान रखती है। फिर भी मनुष्य दिन प्रतिदिन प्रकृति का दोहन करता जा रहा है। 

प्रकृति पर्यावरण का एक हिस्सा है जो हमारे आसपास है। प्रकृति हमारे लिए है और हम प्रकृति के लिए हैं। प्रकृति से प्रेम का मतलब खुद से प्रेम होता है। पर्यावरण में परिवर्तन प्रकृति का रहस्य है जिसकी अनोखी प्रक्रिया ऋतु परिवर्तन है। 

वैसे तो प्रकृति अनेक सभ्यताओं और संस्कृतियों के बनने और बिगड़ने की मौन साक्षी है। उदाहरण के तौर पर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को आप देख सकते हैं। अतः हमारा भी कर्तव्य है कि प्रकृति का संतुलन बिगाड़े बिना उस का आनंद लें। 

प्रकृति पर नारा (स्लोगन) | Slogan of Nature

प्रकृति का रखें ध्यान,
तभी बनेगा देश महान।

प्रकृति बचाओ, 
जीवन बचाओ।

प्रकृति देती हमें जीवनदान,
आओ करें इसका सम्मान।

प्रकृति एक वरदान है, 
जिस पर हमें अभिमान है।

एक बाप है सबसे जरूरी, 
प्रकृति है हमारे जीवन की धुरी।

प्रकृति को बचाना है,
प्रदूषण को भगाना है।

प्रकृति का करो तुम रक्षा,
मुसीबत में करेगी तुम्हारी सुरक्षा।

प्रकृति का जो प्यार है,
यही जीवन का आधार है।

प्रकृति है मां सम्मान, 
प्रदूषण फैला कर ना करो इसका अपमान।

 प्रकृति का ना कर हरण,
आओ बचाएं पर्यावरण।

प्रकृति की रक्षा मजबूरी नहीं, जरूरी है।

FAQ 

प्रकृति क्या है? 

प्रकृति से आशय किसी सजीव व निर्जीव वस्तु के गुण, दोष या स्वभाव से होता है।

प्रकृति कितने प्रकार की होती है? 

प्रकृति दो प्रकार की होती है प्राकृतिक प्रकृति एवं मानवीय प्रकृति।

पंच तत्व क्या होते हैं?

प्रकृति में पांच तत्व मिले हुए हैं जिन्हें पंचतत्व कहा जाता है। यह पंचतत्व है आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी।

प्रकृति की उत्पत्ति कैसे हुई? 

व्यज्ञानिकों के अनुसार बहुत वर्ष पहले अंतरिक्ष में एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ जिसके परिणाम स्वरुप पृथ्वी पर प्रकृति की रचना हुई, जिसे बिग बैन का नाम दिया जाता है।

निष्कर्ष 

इस लेख मे हमने आपको Prakriti Kise Kahte hai के बारे बताया गया है। मानव जीवन के लिए प्रकृति अनमोल उपहार है। प्रकृति हमारी जीवनदाता है। फिर भी हम दिन प्रतिदिन प्रकृति का शोषण करते जा रहे हैं । हम लगातार प्रकृति का दोहन कर रहे हैं और इसके परिणामों के बारे में सोच ही नहीं रहे हैं । प्रकृति है तो मानव है। हम प्रकृति का शोषण करके स्वयं विनाश की ओर जा रहे हैं। विनाश की इस प्रक्रिया को लोगों में जागरूकता लाकर रोकने की आवश्यकता है । प्रकृति का संतुलन बना रहेगा तभी मानव जीवन खुशहाल रहेगा।

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