Ved Kya Hai – वेद हिन्दू धरम का एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। हम ऐसा कह सकते है की वेद हिन्दू धर्म का स्तम्भ है, इसमे जीवन जीने और इंसान के जन्म से अंत तक की पूरी वखया की गई है। वेद ही हिन्दू धर्म को सतीत्व देता है और हमे बताता है की हम अपना जीवन कैसे अच्छे तरिके से जी सकते है।
वेद विश्व के सभी लोगों के लिए लिखा गया है, इसमे बताया है की इंसान कहाँ से आए, उन्हे क्या करना चाहिए और कैसे अपने जीवन को बेहतर बनाना चाहिए। वेद के बारे मे पूरी जानकारी आज के लेख मे दी गई है की आखिर वेद क्या है और किसने इंसानों के आने से पहले वेद की रचना की है ताकि इंसान अपना जीवन अच्छे से जी सके।
अगर आपके मन मे भी वेद का ख्याल आता है और आप जानना चाहते है की हिन्दू धर्म कैसे बना और वेद क्यूँ दुनिया के सभी लोगों के लिए सही है तो आज के इस लेख के साथ जुड़ कर आप वेद क्या है के बारे मे सब कुछ समझ सकते है।
वेद क्या है? | Ved Kya Hai
केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि हर भारतीय व्यक्ति ने कभी न कभी वेद शब्द के बारे मे जरूर सुन होगा। बहुत सारे लोग वेद को महज के किताब मानते है, मगर वेद एक
वेद सनातन धर्म और विश्व का प्राचीनतम ग्रंथ है। वेद संस्कृत के विद शब्द से बना है जिसका अर्थ ज्ञान होता है। वेद में ज्ञान-विज्ञान का अथाह भंडार है जिसमें मानव के हर समस्या का समाधान समाहित है। वेद को श्रुति भी कहा जाता है क्योंकि सर्वप्रथम ईश्वर ने वेद के मंत्रों को प्राचीन चार ऋषियों अग्नि, वायु, अंगिरा और आदित्य को सुनाया था।
वेद से हमें ब्रह्मा, देवता, प्रकृति, ब्रह्मांड, भूगोल, ज्योतिष, औषधि, गणित आदि विषयों के बारे में जानकारी मिलती है। वेद ज्ञान का महासागर है जिसमें लोक परलोक के सारे तथ्य समाहित हैं। वेद को दुनिया का पहला ग्रंथ माना जाता है जो तार्किक और वैज्ञानिक आधार पर लिखा गया है। यही कारण है कि दुनिया में आज तक कोई वेदों पर सवाल नहीं उठा सका।
वेद कितने प्रकार के होते हैं?
वेद चार प्रकार के होते हैं जिन्हें चतुर्वेद भी कहा जाता है। वेद के सारे प्रकार को नीचे सूचीबद्ध किया गया है –
ऋग्वेद
ऋग्वेद, वेदों में प्रथम वेद है। ऋग का अर्थ होता है स्थिति ज्ञान। इस वेद में 10 मंडल, 1028 सूक्त और 10462 ऋचाए (मंत्र) हैं। इस वेद से भूगोल और देवताओं की आह्वान करने की जानकारी मिलती है तथा इस वेद में जल, वायु, सौर मानस तथा हवन द्वारा चिकित्सा का भी उल्लेख किया गया है। गायत्री मंत्र का उल्लेख भी इसी वेद में है। ऋग्वेद निर्गुण भक्ति के बारे में बताता है और माना जाता है कि इसी वेद से अन्य तीनों वेदों की रचना हुई।
आयुर्वेद
आयुर्वेद में गद्य एवं पद्य दोनों हैं। इस वेद से यज्ञ एवं हवनो की जानकारी मिलती है। इस वेद में मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति कैसे होगी एवं रहस्यमई ज्ञान का भी वर्णन किया गया है। यह वेद जीवन के विभिन्न कार्यों के बारे में बताता है। कृष्ण और शुक्ल, इस वेद की दो शाखाएं हैं।
सामवेद
साम का अर्थ रूपांतरण या गायन से है। इस वेद में ऋग्वेद के मंत्रों का संगीतमय रूप है। यह वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है। संगीत के सातों सुर इसी वेद की देन है। इस वेद में 1875 मंत्र हैं। इस वेद से ईश्वर वंदना, उपासना अध्यात्म और प्रार्थना के बारे में जानकारी मिलती है।
अथर्ववेद
अथर्ववेद की रचना सबसे अंत में हुई। यह वेद मनोविज्ञान और तकनीकी ज्ञान पर आधारित है। इस वेद से मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद, ज्योतिष, रसायन, भौतिक, गणित आदि की जानकारी मिलती है। इस वेद में दुखों का निवारण के बारे में बताया गया है। इस वेद में 5687 मंत्र है। यह वेद ब्रह्म ज्ञान और मोक्ष का उपाय भी बताता है।
वेदों की रचना किसने की?
वेदों की उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से पहले हुई थी, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है। ऐसा माना जाता है कि जब सृष्टि की रचना हुई तब परम परमेश्वर ने सृष्टि के सृजन का भार ब्रह्मा जी को दिया। ब्रह्मा जी ने हजारों वर्ष तक परमेश्वर की तपस्या की तब ईश्वर ने उन्हें ज्ञान प्रदान किया। यह वही ज्ञान था जो वेदों में वर्णित है।
तत्पश्चात ब्रह्मदेव के शरीर से चार ज्ञानरूपी ऋषि अग्नि, वायु,अंगिरा एवं आदित्य का जन्म हुआ। परम परमेश्वर द्वारा सुने हुए ज्ञान के आधार पर उक्त ऋषियों ने वेदों की रचना की। इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है क्योंकि इसकी रचना परमेश्वर द्वारा सुनाए गए ज्ञान के आधार पर हुआ था। वेद कब लिखा गए इसका कोई स्पष्ट आकलन नहीं है। अगर विज्ञान की बात की जाए तो विज्ञान के लिए यह पता लगाना मुश्किल है कि किसने लाखों साल पहले वेदों को लिखा।
स्वामी दयानंद सरस्वती जो वेदों के ज्ञाता थे उनका मानना है कि वेदों की उत्पत्ति ईश्वर से हुई है। द्वापर युग में ऋषि वेदव्यास ने वेदों के विस्तारित रूप को संक्षिप्त बनाने का काम किया। ताकि जनसाधारण वेदों को आसानी से अध्ययन कर सकें। यही कारण है कि आज के वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है जबकि वास्तव में वेद उससे कहीं अधिक प्राचीनतम है। संसार के सभी धर्म ग्रंथ की उत्पत्ति मानव जीवन के बाद हुई है जबकि वेदों की उत्पत्ति मानव जीवन से पहले का माना जाता है।
वेदों की रचना कब हुई | वेद कितने वर्ष पुराना है?
वेद दुनिया भर के सभी ग्रंथों में सबसे प्राचीन लिखित दस्तावेज है। वेद की उत्पत्ति सृष्टि के आरंभ से माना जाता है जो मानव कल्याण हेतु लिखा गया है। वेदों की रचना तब हुई थी जब पृथ्वी पर कोई धर्म या धार्मिक तत्व अस्तित्व में नहीं था क्योंकि वेदों में किसी भी मत, पंथ या संप्रदाय का उल्लेख नहीं है। धार्मिक परंपरा के अनुसार वेदों को अनादि और शाश्वत माना गया है। अतः उनका रचनाकाल का प्रश्न ही नहीं उठता।
वेद कब लिखा गया इसके लिए विद्वानों में मतभेद है। वेदों की रचना के बारे में अलग-अलग विद्वानों ने अलग-अलग रचनाकाल बताया है। कुछ विद्वानों का मानना है कि वेदों की उत्पत्ति 1700 से 1100 ईशा पूर्व के बीच हुई थी तो वहीं कुछ विद्वान वेदों के रचना काल की शुरुआत 4500 ईसा पूर्व का मानते हैं।
पश्चिमी जर्मन विद्वान मैक्समूलर के अनुसार वेदों का रचनाकाल 1200-1800 ईशा पूर्व है तो वही जैकोबी ने 4500-2500 ईसा पूर्व माना है। स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक वेदों का रचनाकाल 4000-2500 ईसा पूर्व मानते हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती के अनुसार वेद एक अरब 96 करोड़ 8 लाख 52 हजार 976 वर्ष पुराना है।
वेद मे क्या लिखा हुआ है?
वेद चार है जिन्हें मंत्र संहिता भी कहा जाता है और प्रत्येक वेद का एक उपवेद है। ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद, अजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गंधर्ववेद और अथर्ववेद का उपवेद स्थापत्य वेद है। वेद को दो भागों में बांटा गया है। मंत्र और ब्राह्मण। ब्रह्म से संबंधित विचार को ब्राह्मण कहते हैं। ब्राह्मण दो शाखाओं में विभाजित है अरण्यक और उपनिषद।
विश्व में कोई नया ज्ञान दे ही नहीं सकता। सब ज्ञान वेदों में अनंत समय पहले से ही लिख दिया गया है। वेदों के आधार पर दुनिया में अन्य धर्मों की उत्पत्ति हुई। वेद भारतीय संस्कृति की नीव है। वेद ज्ञान का महासागर है। इसमें ब्रह्म, देवता, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, इतिहास, भूगोल, धार्मिक नियम, रीति रिवाज आदि से संबंधित ज्ञान का भंडार है। वेदों में अनिष्ट से बचाव तथा तथा इच्छापूर्ति, कामना हेतु विभिन्न तरह के उपाय बताए गए है।
किस वेद मे क्या लिखा है इसे नीचे सूचीबद्ध किया गया है –
ऋग्वेद में भौगोलिक स्थिति, ज्ञान और देवताओं के अहवाहन के बारे में बताया गया है। इस वेद में देवताओं की प्रार्थना, उनकी स्तुतियां के अलावा जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानव चिकित्सा एवं हवन चिकित्सा के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें औषधि सूक्त यानी दवाओं का भी विवेचना किया गया है। इसमें औषधियों की संख्या 125 बताई गई है जो 107 स्थानों पर पाई जाती है। इन औषधियों में सोम नामक औषधि का विशेष वर्णन किया गया है।
यजुर्वेद में आत्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा एवं शस्त्रसंघान यादी विषयों की विवेचना किया गया है। इस वेद में यज्ञ की प्रक्रिया एवं तत्वज्ञान (ब्रह्मांड, आत्मा एवं शरीर) के बारे में वर्णन किया गया है। इस भेद की दो शाखाएं हैं शुक्ल और कृष्ण। इस वेद का उपवेद धनुर्वेद को पंचम वेद भी कहा जाता है।
सामवेद को संगीत विद्या का मूल माना जाता है। इस वेद में संगीत एवं गायन विद्या की व्याख्या की गई है। वाद्य एवं राग-रागिनी इसी वेद की देन है। इस वेद में सविता, अग्नि और इंद्र के बारे में बताया गया है।
अथर्ववेद वेद में रहस्यमई विद्या, जड़ी-बूटियों, चमत्कार, जादू यादी के बारे में लिखा गया है। इसमें चिकित्सा विज्ञान और पंचतत्व (आकाश, वायु,अग्नि, जल तथा पृथ्वी) के बारे में विवेचना किया गया है।
वेदों की रचना ही मनुष्य जीवन को राह दिखाने के लिए किया गया है।
क्या वेद प्रमाणित है?
बहुत लोगों का मानना है कि वैदिक साहित्य ऋषि-मुनियों की कल्पना मात्र है। जो जितना आधुनिक जीवन (टेक्नोलॉजी) अपनाता है वह उतना ही नास्तिक बनता जाता है। सनातन धर्म के जो भी धर्म ग्रंथ है वह सब प्रमाणिक है ऐसा बहुत से लोग, वैज्ञानिक और विदेशी भी मानते हैं।
सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ गीता में कहा गया है –
श्रुतिस्मृतिपुराणानाम् विरोधो यत्र दृष्यते।
तत्र श्रोतम् प्रमाणन्तु तयोद्धैधे स्मृतित्वर्रा।।
अर्थात जहां कहीं भी अन्य ग्रंथों में विरोध दिखता हो, वहां वेद की बात मान्य होगी।
कुछ लोग सवाल करते हैं कि क्या वेद प्रमाणिक है? वेद अनादि काल से है और शाश्वत है।
कालचक्र कितना भी बदल जाए, विज्ञान कितना भी उन्नति कर ले लेकिन वेदों में संशोधन की जरूरत नहीं पड़ी। आज के युग में हर चीज समय के अनुसार बदला जा रहा है या संशोधन किया जा रहा है। जो चीज काल (समय) से प्रभावित होती है उसको अपडेट करने की जरूरत होती है जबकि वेदों के ज्ञान काल से प्रभावित नहीं होते हैं। हमें देखने को मिला कि कंप्यूटर का पहले विंडो 8 आया फिर समयानुसार अपडेट करने की जरूरत हुई तो 9,10,11,12 आया। वेदों के ज्ञान को अपडेट करने की जरूरत नहीं है।
वेद पुरातन ज्ञान का महासागर है। इसमें मानव के हर समस्या का समाधान निहित है। वेद परम सत्य है।
वेद का क्या महत्व है या वेद क्यों लिखा गया?
वेद की रचना मानव कल्याण हेतु ऋषि-मुनियों द्वारा किया गया था। यह दुनिया का पहला ज्ञान का साहित्य है। इसी के आधार पर विश्व में अन्य धर्मों की उत्पत्ति हुई। जिन्होंने वेदों के ज्ञान को अपने अपने तरीके से भिन्न-भिन्न भाषाओं में अनुवाद व प्रसारित किया। वेद का अर्थ होता है-ज्ञान और इसी से विद्या (ज्ञान) और विद्वान (ज्ञानी) जैसे शब्द बने हैं। वेद को शब्द प्रमाण का आधार माना जाता है। इसी के आधार पर ऋषि-मुनियों ने अनेकों धर्म ग्रंथ की रचना की। महाभारत और पुराण जैसे महाकाव्य वेदों के आधार पर ही रचे गए। वेद ही धर्म और धर्म शास्त्र का मूल आधार है।
प्राचीन इतिहास जानने और उस समय के लोगों की संस्कृति और सभ्यता को जानने के लिए वेद ही एकमात्र साधन है। वेद पुरातन ज्ञान विज्ञान का अथाह सागर है। इसमें मानव की हर समस्या का समाधान है। वेद ब्रह्मा, देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष,अर्थशास्त्र,गणित, रसायन, भौतिक, औषधि, भूगोल, खगोल, प्रकृति, इतिहास, रीति रिवाज आदि विषयों से संबंधित ज्ञान का सागर है।
वेद के अनुसार सनातन धर्म में 33 कोटि देवता है जो 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य और दो अश्वनी कुमार के रूप में हैं। वेद मानव सभ्यता की जीवन शैली से संबंधित प्राचीन लिखित दस्तावेज है। वाद्य एवं संगीत का मूल केंद्र वेद ही है। आज के नए-नए खोज और उन्नति का मार्ग का प्रेरणा स्रोत वेद ही है।
वेद क्यों पढ़ना चाहिए?
वेद की रचना समस्त मानव कल्याण के लिए किया गया है। वेद सबके लिए उत्तम है। वेद की आज्ञा का पालन करना धर्म है, धर्म का परिणाम सुख है। यहां बात है कि वेद क्यों पढ़ना चाहिए, तो वेद निम्नलिखित कारणों से पढ़ना चाहिए।
- वेद ज्ञान विज्ञान का महासागर है अतः वेद ज्ञान अर्जन हेतु पढ़ना चाहिए।
- वेद ईश्वर को जानने का एकमात्र तरीका है।
- वेद किसी धर्म संप्रदाय, जात-पात, ऊंच-नीच, स्त्री-पुरुष में भेदभाव नहीं करता, वेद की रचना समस्त मानव कल्याण हेतु किया गया है।
- वेदों में लिखित मंत्र, सिद्धांत आदि में रचना काल से आज तक संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ी। वेदों के ज्ञान समय चक्र से प्रभावित नहीं होते।
- सभी स्थान व समय में वेद की सत्यता प्रमाणित है।
- वेदों के ज्ञान में ईश्वरीय वाणी है।
- वेदों से भौतिक, रसायन, गणित, भूगोल, खगोल, इतिहास आदि जैसे विषयों के ज्ञान प्राप्त होते हैं जबकि ऐसा ज्ञान अन्य किसी संप्रदाय के ग्रंथ में नहीं है।
- वेद की रचना तार्किक एवं वैज्ञानिक आधार पर किया गया है इसलिए वेदों में वर्णित हर बात तार्किक एवं वैज्ञानिक रूप से सत्य है।
- वेद पढ़ने से देवताओं का आवाहन, देवताओं की प्रार्थना एवं उनकी स्तुतिया कैसे करें की जानकारी मिलती है।
- वेद के द्वारा हम जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन चिकित्सा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- वेद में सृष्टि के अनेक रहस्यों को उजागर किया गया है।
- वेद में हिंदुओं के 33 कोटि देवताओं का वर्णन है।
- वेद मूर्ति पूजा को नहीं मानता। वेद एक ही ईश्वर को मानता है जो निर्गुण, निराकार और अजन्मा है।
- वेद में 25 नदियों के बारे में बताया गया है जिसमें सिंधु सबसे महत्वपूर्ण नदी है।
- वेद 125 औषधियों के ज्ञान से भरा है जिसमें सोम सबसे महत्वपूर्ण औषधि है।
- गायत्री मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में है।
- यज्ञ, हवन के नियम व विधान वेद से ही प्राप्त होते हैं।
- संगीत का स्वर, ताल, छंद, गति, मंत्र, राग एवं नृत्य मुद्रा का वर्णन सामवेद में है। इस वेद से वाद्य यंत्रों की भी जानकारी मिलती है।
- वेदों से जड़ी बूटियों के बारे में एवं रोगों का उपचार से संबंधित भी जानकारी मिलती है।
- वेद में गृहस्थ आश्रम में पति-पत्नी के कर्तव्य, विवाह नियमों एवं मान- मर्यादाओं का उत्तम विवेचन है।
आओ, वेदों की ओर लौटें।
वेद, उपनिषद और पुराण में क्या अंतर है?
वेद उपनिषद और पुराण तीनों हिंदुओं का धर्म ग्रंथ है और तीनों में बहुत अंतर है। जब दो ग्रंथों में अंतर करना होता है तो उसे तुलनात्मक ढंग से लिखना अच्छा होता है लेकिन यहां तीन ग्रंथों (वेद,उपनिषद एवं पुराण) में अंतर देखना है। तो आइए, इन तीनों साहित्यों में अंतर जानने के लिए क्रमवार ढंग से उल्लेख करते हैं।
वेद | उपनिषद | पुराण |
---|---|---|
वेद दुनिया का सबसे प्राचीनतम साहित्य है। वेद अनादि और शाश्वत है। वेद का शाब्दिक अर्थ होता है ज्ञान। वेद भारतीय संस्कृति की नींव है। वेद परम सत्य है। वेदों की संख्या चार है ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। वेदों को श्रुति भी कहा जाता है क्योंकि वेदों की रचना सुने हुए ज्ञान के आधार पर हुआ है। वेद का उद्देश्य समस्त मानव कल्याण है। वेद पुरातन ज्ञान-विज्ञान का महासागर है। वेद के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है जबकि मूल वेद अनादि काल से है। वेद की रचना का आधार तार्किक एवं वैज्ञानिक है। वेद में मानव की हर समस्या का समाधान समाहित है। वेदों के रचना के बाद ही उपनिषद, पुराण यादी ग्रंथों की रचना हुई। वेद ब्रह्म, देवता, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, भूगोल, खगोल, धार्मिक नियम, रीति रिवाज आदि से संबंधित ज्ञान का भंडार है। वेद से जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा एवं हवन चिकित्सा की जानकारी मिलती है। वेदों से औषधियों और उनसे इलाज करने की जानकारी मिलती है। सामवेद संगीत एवं वाद्य का मूल है। वेदों के ज्ञान, काल (समय) से प्रभावित नहीं होते। वेदों के आधार पर ही दुनिया में अन्य धर्मों की उत्पत्ति हुई। प्राचीन संस्कृति और सभ्यता जानने के लिए वेद ही एकमात्र साधन है। जहां कहीं भी अन्य ग्रंथों में विरोध दिखता हो, वहां वेद की बात मान्य होगी। | हर उपनिषद किसी ना किसी वेद से जुड़ा है। उपनिषद वेदों में अंतर्निहित है जो वेदों के अंतिम भाग है। उपनिषद शब्द का अर्थ होता है गुरु के समीप बैठना (ज्ञान अर्जन हेतु)। उपनिषद देववाणी संस्कृत में लिखे गए हैं। मुक्तिकोपनिषद के अनुसार उपनिषदों की संख्या 108 है लेकिन मुख्य 10 ही माना गया है। उपनिषद ब्रह्म विद्या है। उपनिषद दार्शनिक ग्रंथ है। उपनिषद का मूल उद्देश्य परमेश्वर, आत्मा और परमात्मा के बारे में ज्ञान देना है। यह भारतीय दर्शन का मूल सार है और आध्यात्मिक चिंतन का मूल आधार। मनुष्य के जीवन- मृत्यु के वास्तविक चक्र को समझाना उपनिषद का मूल उद्देश्य है। उपनिषद गुरु और शिष्य का संवाद है। उपनिषद अज्ञानता से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलने की प्रार्थना है। उपनिषद के अन्य नाम ब्रह्मविद्या, आत्मविद्या, अध्यात्म विद्या, योग विद्या, प्राण विद्या और वेदांत है। उपनिषद का विषय सत्य की खोज और ब्रह्म की पहचान करना है। उपनिषद निर्माण में क्षत्रिय वर्ग का विशेष योगदान है। श्वेताश्वर उपनिषद में मोक्ष की चर्चा है जबकि वेद में नहीं। सत्यमेव जयते शब्द मुंडकोपनिषद से लिया गया है। कठोपनिषद में यम ने नचिकेता को उपदेश दिया है। | पुराण भारतीय संस्कृति का प्राण है। पुराण का शाब्दिक अर्थ होता है प्राचीन या पुराना। पुराणों की संख्या 18 हैं। जिसमें 6 ब्रह्मा को, 6 विष्णु को एवं 6 महेश को समर्पित है। पुराणों में वेदों के नियमों को कथा के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है। पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास है। पुराणों का संकलन संस्कृत भाषा में किया गया है। पुराण ग्रंथ विशाल, विस्तृत एवं गहन है। भारतीय जीवन को जीवन शैली, जीवन व्यवहार, जीवन रस एवं लोक जीवन का व्यवस्थित स्वरूप पुराण की देन है। पुराण में कर्म – अकर्म, धर्म – अधर्म, मोक्ष – बंधन, लोक – परलोक, मार्ग – कुमार्ग, स्वर्ग – नरक का विश्लेषणात्मक वर्णन कथा कहानियों के माध्यम से किया गया है। पुराण में कर्म, सन्यास, विधि, निषेध, यम, नियम, देवताओं, तीर्थों, पहाड़ों, अवतारों, अनुष्ठानों आदि का अर्थ पूर्ण उल्लेख है। वेद की भाषा कठिन है जबकि पुराण की भाषा सहज व सरल है जो तथ्यों एवं कथाओं के माध्यम से समझाया गया है। पुराणों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश मुख्य देव हैं। पुराण में सप्ताह के दिनों के नाम, रामावतार, कृष्ण अवतार, गंगावतरण, सौरमंडल, सामाजिक न्याय, भगवती दुर्गा, भारतीय संस्कृति, सूर्य का महत्व, वर्ष के 12 महीनों के नाम, सांपों के विष की पहचान यादी विषयों का वर्णन है। अघोर विद्या, स्वर्ग – पताल, श्राद्ध पद्धति, आने वाली पीढ़ियों का जिक्र, 27 नक्षत्र, 12 ज्योतिर्लिंग, सात द्वीप, प्रेत लोक, यम लोक, 84 लाख योनियों, वैतरणी नदी, ग्रह – नक्षत्र आदि जैसे अनेक विषयों का अवलोकन पुराण में उल्लेखित है। धर्म ग्रंथों के अनुसार गरुण पुराण किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद पढ़ा या सुना जाता है। ऐसा मान्यता है कि मृत्यु के बाद 13 दिनों तक उसकी आत्मा उस घर में रहती है और उस आत्मा को गरुण पुराण सुनाया जाता है। |
FAQ
वेद किसने लिखा है?
माना जाता है की वेद इंसानों के अस्तित्व से भी पहले से है मगर ऋषि वेद व्यास के द्वारा वेदों को पढ़ने लायक और एकत्रित किया गया है, इस वजह से कुछ सूत्रों के मुताबिक वेद को वेद व्यास के द्वारा लिखा गया है।
वेद मे क्या लिखा है?
वेद मे बताया गया है की एक इंसान को अपना जीवन कैसे जीना चाहिए और इसके अलावा हर तरह के विज्ञान के बारे मे भी बताया गया है।
वेद कब लिखा गया था?
वेद के समय के बारे मे अलग अलग लोगों के द्वारा अलग अलग समय बताया गया है। जर्मन के एक विज्ञानिक के अनुसार वेद को 1200 ईसा पूर्व मे लिखा गया था, मगर दया नन्द सरस्वती के अनुसार वेद को 96 करोड़ साल पहले लिखा गया था।
वेद कितने प्रकार के होते है?
वेद 4 प्रकार के होते है।
निष्कर्ष
आज इस लेख मे हमने आपको वेद क्या है के बारे मे सरल शब्दों मे बताने का प्रयास किया है। हमने आपको समझाया की वेद पुराण और ग्रंथ मे क्या अंतर है और वेद को क्यूँ लिखा गया था। अगर इस महत्वपूर्ण लेख को पढ़ कर आप वेद क्या है के बारे मे अच्छे से समझ गए है तो इस लेख को अपने मित्रों के साथ साझा करे और अगर इस लेख से लाभ होता है तो अपने विचार और सुझाओ कॉमेंट मे बताना न भूले।