Ramcharitmanas PDF Download 2023 – आप सबने तुलसीदास का नाम सुना होगा, रामचरित्र मानस ऋषि और लेखक तुलसीदास की रचना है। Ramcharitmanas PDF Download को 16 वीं सदी के समकालीन गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा लिखा गया है। इस किताब का पीडीएफ प्रारूप नीचे प्रस्तुत किया गया है जिस पर क्लिक करके आप आसानी से डाउनलोड कर सकते है।
भगवान राम के सभी जीवन घटनाओं को राम चरित्र मानस में खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इस किताब में आपको बालकांड, अयोध्या कांड, आर्यन कांड, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, लंकाकांड, और उत्तरकांड पढ़ने का मौका मिलेगा। सभी हिंदू धर्म के अनुयायियों को भगवान राम के जीवन से सीखना चाहिए और फिल्म या फिर सीरीज देखने से पहले एक बार राम चरित्र मानस (Ramcharitmanas PDF Download) को पढ़ना चाहिए।
Name of Book | Ramcharitmanas PDF Download |
Author | गोस्वामी तुलसीदास |
Publish Date | Not Known |
Publication | Not Known |
Book for | All People |
Ramcharitmanas PDF Download
राम चरित्र मानस भगवान राम (Ramcharitmanas PDF Download) के परम भक्त स्वामी गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा लिखा गया है। इस किताब में तुलसीदास जी ने भगवान राम के जीवन का एक सुंदर प्रारूप सभी लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है। राम चरित्र मानस रामायण के जैसा ही है मगर रामचरित्र मानस को अवधी भाषा में लिखा गया है, जिसके हिंदी पीडीएफ को प्रस्तुत किया गया है। इसमें रामायण के किरदार के चरित्र को ज्यादा स्पष्ट रूप से दर्शाने का प्रयास किया गया है।
आपको बता दें कि सबसे पहले रामायण लिखा गया था जिसे ऋषि बाल्मीकि के द्वारा लिखा गया था। वाल्मीकि अपनी दिव्य शक्ति से भगवान राम के जीवन को देखकर उनसे प्रेरित होकर रामायण लिखा था। रामायण को पढ़कर स्वामी तुलसीदास भगवान राम के भक्त बन गए। इसके बाद दुनिया को भगवान राम का सरल और सहज रूप दिखाने के लिए उन्होंने रामचरित्र मानस को लिखा है।
रामायण क्या है?
Ramcharitmanas PDF Download को समझने से पहले आपको रामायण के बारे में जानकारी होनी चाहिए। जैसा कि हमने आपको बताया रामायण वाल्मीकि के द्वारा लिखा गया था मगर भगवान के चरित्र का पूर्ण वर्णन एक खूबसूरत तरीके से रामचरित्र मानस में किया गया है।
रामायण क्या है इसे समझने के लिए आपको रामायण की कहानी एक संक्षिप्त रूप में बताने का प्रयास किया जा रहा है। Ramcharitmanas PDF Download में रामायण की कहानी ही आप पढ़ेंगे मगर रामायण क्या है, उसमें क्या लिखा है और उसे क्यों पढ़ना चाहिए यह भी समझना जरूरी है।
रामायण त्याग की मनोरम और अलौकिक कथा है। त्याग और प्रेम की वैसी मिसाल जो अन्यत्र देखने को नहीं मिलेगा। संपूर्ण रामायण में त्याग की प्रतियोगिता है, कोई किसी से पीछे नहीं है।
रामायण में क्या लिखा है?
एक दूसरे के प्रति प्रेम और त्याग की अद्भुत और अलौकिक चित्रण है। अगर सही ढंग से पढ़ो और समझो तो आंखों में आंसू छलक आएगा। आइए, रामायण को समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर रामायण का गूढ़ रहस्य क्या है।
एक रात की बात हैं।
जब माता कौशल्या सोई थी तो महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। माता कौशल्या की नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ?
मालूम पड़ा शत्रुघ्न जी की पत्नी श्रुतकीर्ति हैं, कुल की दुलारी, छोटी बहू।
माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया। छोटी बहू आई, माता जी के चरणों में प्रणाम कर एक तरफ खड़ी हो गई।
माता कौशिल्या ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ?
क्या नींद नहीं आ रही ? शत्रुघ्न कहाँ है ?
बहू की आंखें लोर से गई, मां के छाती से चिपक गई।
गोद में सिमटकर श्रुतकीर्ति धीरे से इतना ही बोलीं-
माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए ।
बहू की जवाब सुनकर माता कौशल्या जी हतप्रभ रह गई। कौशल्या जी का ह्रदय यह सोच कर काँप उठा की 13 वर्षों से रात के समय शत्रुघ्न कहां रहता है?
आधी रात को ही पालकी तैयार हुई, माँ चली, बेटे शत्रुघ्न की खोज में।
अरे यह क्या ! मां की ममता कांप गई। शत्रुघ्न जी तो मिले, पर कहाँ ?
अयोध्या के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी नंदिग्राम के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले !!
उसी शीला के पास माता कौशल्या भी बैठ गई और शत्रुघ्न के सर में हाथ फिराने लगी।
शत्रुघ्न जी नेआँखें खोलीं, देखा मां बैठी है। तुरंत उठे और मां के चरणों में गिर पड़े। माँ !
माँ ने कहा, शत्रुघ्न ! यहाँ क्यों ?”
शत्रुघ्न रो – रो कर बताने लगे- माँ ! भैया राम जी पिताजी की आज्ञा से वन चले गए।
भैया लक्ष्मण जी उनकी सेवा के लिए चले गए,
भैया भरत भी नंदिग्राम में तपस्या कर रहे हैं।
क्या महल के सभी ठाट-बाट विधाता ने मेरे ही लिए बनाए हैं ?
माता कौशल्या अपलक देखते रह गई।
ये है रामकथा… त्याग की कथा।
एक दूसरे के प्रति चारो भाइयों का प्रेम और त्याग अद्भुत और अलौकिक हैं ।
प्रेम व्यवहार से जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा हमें रामायण से मिलती है।
बनवास तो भगवान राम को हुआ था सीता मैया ने अपने पति के लिए सब सुख का त्याग कर बन जाना सहर्ष स्वीकार किया। बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी त्याग में कैसे पीछे रह जाते। उन्होंने
माता सुमित्रा से आज्ञा ले ली, वन जाने की..
परन्तु जब पत्नी “उर्मिला” के कक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो पैर ठिठक गए, यह सोच कर कि माँ ने तो आज्ञा दे दी, परन्तु उर्मिला को कैसे समझाऊंगा ? क्या बोलूँगा उससे ?
लक्ष्मण जी यह देखकर आश्चर्य विभोर हो गए कि
उर्मिला जी आरती का थाल लेके खड़ी थीं और बोलीं-
“आप मेरी चिंता छोड़ प्रभु श्रीराम की सेवा में वन को जाओ…मैं आपको नहीं रोकूँगीं।
मेरे कारण आपकी सेवा में कोई बाधा न आये, इसलिये साथ जाने की जिद्द भी नहीं करूंगी।
वास्तव में यहीं पत्नी का धर्म है। पति संकोच में पड़े, उससे पहले ही पत्नी उसके मन की बात जानकर उसे संकोच से बाहर कर दे।
लक्ष्मण जी के जाने के बाद उर्मिला 14 वर्ष तक त्याग की तपस्विनी बन गई। लक्ष्मण जी भैया भाभी की सेवा में 14 वर्षों तक कभी सोए नहीं तो उर्मिला ने भी अपने महलों के द्वार कभी बंद नहीं किये और सारी रात जाग जागकर उस दीपक की लौ को बुझने नहीं दिया।
मेघनाथ से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को “शक्ति बाण” लग जाती है और हनुमान जी उनके लिये संजीवनी का पर्वत लेके लौट रहे होते हैं, तो बीच में जब हनुमान जी अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे तो भरत जी उन्हें राक्षस समझकर बाण मारते हैं और हनुमान जी गिर जाते हैं। तब हनुमान जी सारा कहानी सुनाते हैं कि कैसे सीता जी को रावण हर ले गया और लक्ष्मण जी युद्ध में मूर्छित हो गए हैं।
यह सुनते ही कौशल्या जी कहती हैं कि- राम को कहना कि “लक्ष्मण” के बिना अयोध्या में पैर भी मत रखना। राम वन में ही रहें।
माता “सुमित्रा” कहती हैं कि राम से कहना कि कोई बात नहीं..अभी शत्रुघ्न है। मैं उसे भेज दूंगी। मेरे दोनों पुत्र “राम सेवा” के लिये ही तो जन्मे हैं.!!
माताओं का प्रेम और त्याग देखकर हनुमान जी की आँखों से अश्रुधारा बह रही थी।
परन्तु जब उन्होंने उर्मिला जी को देखा तो सोचने लगे कि, यह क्यों एकदम शांत और प्रसन्न खड़ी हैं?
क्या इन्हें अपनी पति के प्राणों की कोई चिंता नहीं?
हनुमान जी पूछते हैं- देवी!
आपकी प्रसन्नता का कारण क्या है?
आपके पति के प्राण संकट में हैं।
सूर्य उदित होते ही सूर्य कुल का दीपक बुझ जायेगा।
उर्मिला जी का उत्तर सुनकर तीनों लोकों का कोई भी प्राणी उनकी वंदना किये बिना नहीं रह पाएगा।
उर्मिला बोलीं – मेरा दीपक संकट में नहीं है, वो बुझ ही नहीं सकता। रही सूर्योदय की बात तो आप चाहें तो
कुछ दिन अयोध्या में विश्राम कर लीजिये, क्योंकि आपके वहां पहुंचे बिना सूर्य उदित हो ही नहीं सकता।
आपने कहा कि, प्रभु श्रीराम मेरे पति को अपनी गोद में लेकर बैठे हैं।जो प्रभु श्री राम की गोदी में लेटा हो, काल उसे छू भी नहीं सकता। यह तो वो दोनों लीला कर रहे हैं। मेरे पति जब से वन गये हैं, तबसे सोये नहीं हैं।
उन्होंने न सोने का प्रण लिया था। इसलिए वे थोड़ी देर विश्राम कर रहे हैं और जब भगवान् की गोद मिल गयी तो थोड़ा विश्राम ज्यादा हो गया। वे उठ जायेंगे।
और “शक्ति” मेरे पति को लगी ही नहीं, शक्ति तो प्रभु श्री राम जी को लगी है। मेरे पति की हर श्वास में राम,
हर धड़कन में राम, उनके रोम रोम में राम हैं, उनके खून की हर बूंद में राम हैं। जब उनके शरीर और आत्मा में ही सिर्फ राम हैं, तो शक्ति राम जी को ही लगी, दर्द राम जी को ही हो रहा। इसलिये हे हनुमान जी, आप निश्चिन्त होके जाएँ। सूर्य उदित नहीं होगा।
त्याग के साथ-साथ विश्वास की ऐसी पराकाष्ठा देखने को कहां मिलेगा।
राम राज्य की नींव राजा जनक की बेटियां ही तो थीं,
कभी सीता तो कभी उर्मिला।
भगवान् राम ने तो केवल राम राज्य का कलश स्थापित किया था परन्तु वास्तव में राम राज्य इन सबके प्रेम, त्याग, समर्पण और बलिदान से ही आया।
कभी समय मिले तो वेद, पुराण, गीता, रामायण को पढ़ने और समझने का प्रयास कीजिए, जीवन को एक अलग नज़रिए से देखने और जीने का सबब मिलेगा।
“लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो,
स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराइ हो..
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो,
चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो..
हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो,
लव कुश के जैसी, संतान हमारी हो..
श्रद्धा हो श्रवण जैसी, सबरी सी भक्ति हो,
हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो… “
ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की।
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमने आपको Ramcharitmanas PDF Download के बारे में बताया है, जिसे पढ़ कर आप आसानी से रामचरित्र के बारे में अच्छे से समझ सकते है और भगवान राम की तरफ आकर्षित हो सकते है, उनकी भक्ति में खो सकते है। अतः इस लेख को अपने मित्रो के साथ भी जरूर साझा करे।