Pradushan kya hai – हमारे वातावरण मे मौजूद अनावश्यक तत्व जिसकी वजह से इंसान और जानवरों को परेसनी होती है उसे प्रदूषण कहा जाता है। मगर केवल इतना जानने मात्र से आप प्रदूसन और इससे होने वाले प्रकोप को नहीं समझ सकते है। इसलिए आपको आज हम प्रदूषण और इसके सारे प्रकार के बारे मे समझने जा रहे है। इसके कारण होने वाले प्रकोप और उससे बचने के तरीकों के बारे मे भी बताया गया है।
प्रदूषण भौतिक, रसायनिक अथवा जैविक अवगुणों के परिवर्तन है जिससे पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं को केवल हानि ही पहुंचती है। इस लेख को अंतिम तक पढ़ने के बाद आप समझ पाएंगे कि प्रदूषण (Pradushan kya hai) से हमें कैसी हानियां होती है और इनसे बचने के सरल मार्ग क्या है।
Pradushan kya hai | प्रदूषण किसे कहते हैं?
प्राकृतिक संसाधनों जैसे वायु, जल, भूमि आदि में भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक गुणों में होने वाले अनचाहे परिवर्तन को प्रदूषण कहते हैं। इससे जीव जंतुओं के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा और विकास को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर हानि पहुंचती है।
पर्यावरण में दूषक पदार्थों के मिलने से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होती है। जिससे पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान के साथ-साथ अन्य सचिवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
राष्ट्रीय पर्यावरण खोज परिषद के अनुसार “मनुष्य के क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों के रूप में पदार्थों एवं ऊर्जा विमोचन से प्राकृतिक पर्यावरण में होने वाले हानिकारक परिवर्तनों को प्रदूषण कहते हैं।”
प्रदूषण कितने प्रकार का होता है? |Types of Pollution
प्रदूषण मुख्यतः चार प्रकार के होते है। इनके बारे मे कुछ जानकारियों को नीचे सीचीबद्ध किया गया है –
- जल प्रदूषण – जल सभी प्राणियों तथा वनस्पतियों के जीवन का आधार है। प्रदूषक पदार्थ जल में मिलकर जब जल के वास्तविक गुणों को इस प्रकार परिवर्तित कर देता है कि मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होता है तो इसे जल प्रदूषण कहते हैं
- वायु प्रदूषण – प्रदूषक के कण वायु में मिलकर जब वायु के अवयवों की अनुकूलतम मात्रा में अवांछनीय परिवर्तन कर देता है जो जीव जंतु और वनस्पतियों के लिए हानिकारक सिद्ध होता है तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु प्रदूषण तत्काल प्रभावित करने वाला प्रदूषण है। भोपाल गैस कांड इसका आंखों देखा उदाहरण है। हवा में मौजूद प्रदूषक कण शरीर की सुरक्षा कवच को पार कर दिल, दिमाग और फेफड़ों पर असर डालते हैं।
- ध्वनि प्रदूषण – पर्यावरण में चारो तरफ फैली शोर-गुल आवाजें अथवा वह अवांछनीय ध्वनि जिससे जीव जंतुओं को परेशानी होती है उसे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण के कारण इंसान को भूख कम लगती है और स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारक लाउडस्पीकर, म्यूजिक सिस्टम, वाहन, कारखानों में मशीनों की आवाज, उत्खनन के कारण शोर इत्यादि हैं।
- भूमि (मृदा) प्रदूषण – भूमि जो समस्त जीवो का शरण स्थल है वह भी प्रदूषण से अछूती नहीं है। भूमि के गुणों में अनचाहा परिवर्तन जिसका प्रभाव फसल उत्पादन के साथ मानव जीवन पर पड़े और जिससे भूमि की गुणवत्ता एवं उपयोगिता में कमी आए, उसे भूमि (मृदा) प्रदूषण कहते हैं।
पेड़ों की लगातार कटाई से भूमि रेगिस्तान में तब्दील होती जा रही है। भूमि प्रदूषण से भूमि के भौतिक एवं रासायनिक गुणों पर असर पड़ता है और भूमि की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। भूमि प्रदूषण से आसपास रहने वाले सभी जीवो के जीवन चक्र पर प्रभाव पड़ता है।
प्रदूषण क्यों होता है – Reason of Pollution?
आज के समय मे प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, इस वजह से आपको इसके कारण के बारे मे पता होन चाहिए जिसे नीचे बताया गया है –
- वनों की लगातार कटाई होने से।
- पानी में कचरा फेंकने या शव बहाने से।
- उद्योगों द्वारा भारी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं जिसका सही तरीके से निपटान नहीं करने से।
- नदियों में गिरने वाले नालों से।
- ज्वालामुखी विस्फोट से।
- कृषि कार्यों में रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से।
- जंगलों में पेड़ पौधों और कोयला जलने से।
- परमाणु संयंत्र से निकलने वाली गैसे तथा धूल कण से।
- तेल और गैसों के रिसाव से।
- कूड़े कचरे का सही संग्रहण, निष्कासन एवं निस्तारण नहीं करने से।
- प्लास्टिक की थैलियों का प्रचुर मात्रा में प्रयोग करने से।
- जीवाश्म ईंधन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने से।
प्रदूषण रोकने के क्या उपाय हैं?
प्रदूषण को रोकने के बहुत सारे कारण है और आपको उन्मे से कुछ कारणों के बारे मे मालूम होन चाहिए जिसे नीचे बताया गया है –
- पर्यावरण के संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित कानून बनाकर उसे अमल में लाया जाए।
- पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने हेतु प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के प्रति अभियान चलाकर जागरूकता लाई जाए।
- वनों की कटाई पर रोक लगाई जाए और साथ ही साथ ही साथ वृक्षारोपण पर जोर दिया जाए।
- अपने आसपास हर्बल एवं औषधीय वृक्षों का रोपण करें।
- जीवाश्म इंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम आदि का प्रयोग कम करके सौर ऊर्जा या अन्य वैकल्पिक ऊर्जा का प्रयोग करके प्रदूषण रोका जा सकता है।
- धुआं रहित इंधन का प्रयोग करना चाहिए।
- पुराने वाहन संचालन पर रोक लगानी चाहिए।
- वाहनों में आवाज कम करने हेतु साइलेंसर लगाकर समय-समय पर उसकी जांच करनी चाहिए।
- शोर करने वाली भारी वाहनों को शहर से दूर रखा जाए।
- सभी कल कारखानों में वायु शुद्धीकरण यंत्र लगवाना चाहिए।
- आतिशबाजी व पटाखों का प्रयोग कम से कम किया जाए।
- कल करखानों को आवासीय क्षेत्र से दूर स्थापित किया जाए।
- साइलेंसर युक्त जनरेटर का प्रयोग किया जाए।
- ध्वनि पैदा करने वाले मशीनों में सुधार किया जाए।
- प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग पर कठोर कार्रवाई की जाए।
- कूड़े कचरे का संग्रहण, निष्कासन एवं निस्तारण की व्यवस्था की जाए।
- रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का कम से कम प्रयोग किया जाए और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए।
प्रदूषण से होने वाली बीमारी कौन-कौन सी है?
प्रदूषण के कारण मानव जीवन में अनेकों प्रकार की बीमारियां पैदा होती है। आइए हम जानते हैं कि किस प्रदूषण से कौन-सी बीमारी होती है।
जल प्रदूषण – जल प्रदूषण के कारण पोलियो, हैजा, पीलिया, पेचिस, मियादी बुखार आदि जैसे अनेकों बीमारियां होती है।
वायु प्रदूषण – वायु प्रदूषण से दमा, फेफड़े का कैंसर, हृदय रोग, खांसी जुकाम, सिर दर्द, उल्टी और आंखों में जलन इत्यादि रोग होते हैं।
ध्वनि प्रदूषण – ध्वनि प्रदूषण से बहरापन, हृदय रोग, मानसिक तनाव, अल्सर, हाई ब्लड प्रेशर आदि रोग होता है।
मृदा प्रदूषण – भूमि प्रदूषण से जोड़ों में दर्द, श्वास लेने की समस्या एवं नर्वस डिस ऑर्डर जैसी अनेकों बीमारियां होती है।
FAQ
प्रदूषण क्या है?
हमारे वातावरण मे मौजूद अनावश्यक तत्व जिसकी वजह से इंसान और जानवरों को परेसनी होती है उसे प्रदूषण कहा जाता है।
प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?
प्रदूषण को कम करने का सबसे मुख्य उपाय है ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।
प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं?
प्रदूषण कुल चार प्रकार के होते हैं वायु प्रदूषण जल प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण मृदा प्रदूषण।
प्रदूषण का कौन सा प्रकार सबसे खतरनाक है?
प्रदूषण के सभी प्रकारों में वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक है क्योंकि इससे हृदय संबंधी रोग होते हैं।
निष्कर्ष
Pradushan Kya Hai के इस लेख मे हमने बताया की शुद्ध हवा, स्वच्छ जल एवं स्वच्छ पर्यावरण पर सबका हक है, अतः आगामी पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण करना हमारा सामूहिक जिम्मेदारी है। अतः अपने आने वाले पीढ़ियों के लिए पर्यावरण का संरक्षण करें। यह उनके जीवन का सबसे अच्छा तोहफा होगा। अगर पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त नहीं किया गया तो धरती पर मानव को स्वस्थ रहना मुश्किल हो जाएगा। जब हमारा पर्यावरण शुद्ध और स्वच्छ रहेगा, तभी जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।
आज के लेख मे हमने आपको प्रदूषण के बारे मे बताया है, इसे पढ़ कर आप प्रदूषण के प्रकार और लाभ को अच्छे से समझ गए होंगे। उम्मीद करते है यह लेख आपको पसंद आया होगा और आप Pradushan kya hai को अच्छे से समझ गए होंगे। अब इस लेख को अपने मित्रों के साथ साझा करे साथ हि इसे अपने मित्रों के साथ भी साझा करे।