Shani Chalisa Pdf – हिंदू धर्म में भगवान शनि का बहुत अधिक महत्व है। हर जीव जंतु के पाप को कम करने के लिए शनि देव की दृष्टि बनती है। भगवान शनि के प्रकोप से खुद को बचाने के लिए Shani Chalisa Pdf का पाठ किया जाता है। आमतौर पर चालीसा का पाठ हर शनिवार को भगवान शनि की मूर्ति के आगे किया जाता है जिसमें आप भगवान शनि को काले तिल सरसों तेल और पानी अर्पित करते है। Shani Chalisa Pdf कैसे पढ़ना चाहिए और आप इसे कैसे डाउनलोड कर सकते हैं इसकी पूरी जानकारी नीचे दी गई है।
भगवान शनि को खुश करने के लिए इस महत्वपूर्ण चालीसा का जाप करना जरूरी है। इस वजह से Shani Chalisa Pdf का लिंग के नीचे दिया गया है जिस पर क्लिक करके अब आसानी से इस चालीसा को डाउनलोड कर सकते हैं।
Shani Chalisa Pdf – Overview
Book Name | Shani Chalisa Pdf |
Author | Not Known |
Publish Date | Not Known |
Language | English/ Saskrit |
Publication | Not Known |
Country | India |
Must Read
Shani Chalisa Pdf
भगवान शनि का जाप करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और शनि भगवान का प्रकोप कम होता है आपके जीवन में आने वाली सभी परेशानी दूर होती है।
शनि चालीसा का जाप रोजाना करना चाहिए भगवान शनि की पूजा के दौरान आप इसका जाप कर सकते है। शनि चालीसा में आप भगवान शनि के व्यक्तित्व का वर्णन पढ़ सकते हैं। शनि भगवान की पूजा के दौरान शनि चालीसा का जाप करना चाहिए।
Shani Chalisa Lyrics in Hindi
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला ।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥
परम विशाल मनोहर भाला ।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन ।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥
पर्वतहू तृण होई निहारत ।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।
मातु जानकी गई चुराई ॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥
रावण की गतिमति बौराई ।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका ।
बजि बजरंग बीर की डंका ॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी ।
हाथ पैर डरवाय तोरी ॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी ।
भूंजीमीन कूद गई पानी ॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।
पारवती को सती कराई ॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा ।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।
बची द्रौपदी होति उघारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो ।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देवलखि विनती लाई ।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥
वाहन प्रभु के सात सजाना ।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा ।
गर्दभ सिद्धकर राज समाजा ॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।
चोरी आदि होय डर भारी ॥
तैसहि चारि चरण यह नामा ।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥
समता ताम्र रजत शुभकारी ।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै ।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला ।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥
शनि चालीसा कब पढ़ना चाहिए?
Shani Chalisa Pdf का लिंक ऊपर दिया गया है जिसे डाउनलोड करके आप शनि चालीसा प्राप्त कर सकते है। आपको बता दे की शनि चालीसा को रोजाना पढ़ना चाहिए इससे शनि भगवान की दृष्टि कम पड़ती है। यह भी माना जाता है कि शनि चालीसा का जाप करने से जब शनि भगवान का प्रकोप खत्म होता है तो खूब सारी खुशियां भी मिलती है।
आपको रोज सुबह उठकर शनि मंदिर जाकर भगवान शनि को तिल और तेल चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा आप घर में भी शनि भगवान की मूर्ति के आगे पूजा कर सकते है, इसमें आपको अपने अंजुरी से जल चढ़ाना है और भगवान शनि को तेल और तिल भी अर्पण करना है। शनि चालीसा का जब शाम के वक्त नहा धोकर किया जाता है भगवान शनि की पूजा एक संध्या पूजा के रूप में किया जाता है।
निष्कर्ष
आज इस लेख में Shani Chalisa Pdf के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है जिसे पढ़कर आप आसानी से शनि चालीसा के बारे में समझ सकते हैं और भगवान शनि को खुश करने के लिए उनकी तपस्या कर सकते है। अगर क्या लेख आपको लाभदायक लगता है तो इसे अपने मित्रों के साथ भी साझा करिए।