Akshaya Tritiya Kyu Manate Hai | क्यूँ मनाई जाती है अक्षय तृतीय?

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Akshaya Tritiya Kyu Manate Hai, Akshaya Tritiya Kab Manate Hai, Akshaya Tritiya Kab Hai 2023

Akshaya Tritiya Kyun Manate Hai

Akshaya Tritiya Kyu Manate Hai – पूरे विश्व में भारत को अलग-अलग त्योहारों की वजह से जाना जाता है। भारतीय संस्कृति में त्योहारों का बड़ा अहम मोल है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण त्यौहार अप्रैल के महीने में उत्तर भारत के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। इस त्यौहार को आखा तीज, अक्षय तीज या अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है।

इस त्यौहार को मुख्य रूप से उत्तर भारत में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया के दिन 12 दिन का मेला आयोजित करवाया जाता है। वहीं मध्यप्रदेश में इस दिन गुड्डे गुड़ियों की शादी करवाई जाती है और पूरे गांव भर के लोग उस मेले में आते है। आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि इस त्यौहार को इस तरह मनाने के पीछे की कथा क्या है और akshaya tritiya kyu manate hai तो आज का लेख आपके लिए महत्वपूर्ण है।

अक्षय तृतीया क्या है? | Akshaya Tritiya 2023

अक्षय तृतीया भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। मुख्य रूप से इसे  उत्तर भारत में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को आखा तीज या अक्षय तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है इस वजह से इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।

कुछ पौराणिक मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया वह दिन है जिस दिन सतयुग का समापन हुआ था और त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। कुछ क्षेत्र में माना जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। इस वजह से सालों से यह परंपरा चली आ रही है कि शादी विवाह जैसी शुभ दिन को अक्षय तृतीया के त्यौहार के बाद आयोजित किया जाता है।

अक्षय तृतीया का त्यौहार उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, और बिहार के कुछ क्षेत्र में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अक्षय तृतीया के दिन भारत के कुछ क्षेत्र में मेला का आयोजन किया जाता है तो कुछ क्षेत्र में भव्य यज्ञ का आयोजन किया जाता है।

अक्षय तृतीया कब है? | Akshay Tritiya Kab Hai 2023

अक्षय तृतीया का त्यौहार हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पावन अवसर 22 अप्रैल 2023 को है।

इस दिन सुबह उठकर गंगा स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस साल Akshaya Tritiya 2023 Shubh Muhurat शनिवार 22 अप्रैल 2023 को सुबह 7:49 से अगले दिन में 23 अप्रैल 2023 की सुबह 7:49 तक रहने वाला है।

इस साल श्रद्धालु अक्षय तृतीया की पूजा 22 अप्रैल और 23 अप्रैल दोनों दिन कर सकते है। इसके अलावा दान करने का शुभ मुहूर्त 22 अप्रैल की सुबह से 23 अप्रैल की सुबह तक है 24 घंटे में आप कभी भी भगवान नारायण के नाम पर दान कर सकते है।

अक्षय तृतीया क्यों मनाया जाता है? | Akshaya Tritiya kyu manate hai

भारतीय संस्कृति की पुरानी मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया दान पुण्य का त्यौहार है। इस त्यौहार का सीधा संबंध माता लक्ष्मी से है, ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ और दान पूर्ण करने से माता लक्ष्मी आप पर प्रसन्न होती है।

बात है कि अक्षय तृतीया अप्रैल महीने के मध्य में मनाया जाता है तब तक गर्मी अपने चरम पर पहुंचने लगती है। इतनी तेज गर्मी में आमतौर पर कोई फसल नहीं उगाई जाती है। जैसे-तैसे किसान कुछ सब्जी या छोटे-मोटे फसल को बो कर छोड़ता है। गर्मी की वजह से वह फसल खराब ना हो जाए इस वजह से भगवान से पूजा-अर्चना की जाती है। घर के अनाज को माता लक्ष्मी से जोड़ा गया है इस वजह से इस दिन उत्तर भारत के किसान महालक्ष्मी की पूजा करते है। कई सालों से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि दान करने से मां लक्ष्मी खुश होती है इस वजह से इस त्यौहार को दान से जोड़ा गया है।

भारतीय संस्कृति के अनुसार गर्मी के इस मौसम में गरीबों को कुछ दान में देना चाहिए, प्यासे को पानी देना चाहिए और इस तरह दान पुण्य करने से माता लक्ष्मी आप पर खुश होगी और आपके खेत की फसल गर्मी में बर्बाद नही होगी। इस वजह से राजस्थान के कुछ क्षेत्र में कई सालों से अक्षय तृतीया का त्यौहार मनाया जा रहा है।

मगर बुंदेलखंड और मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्र में अक्षय तृतीया का त्यौहार बच्चों के लिए मनाया जाता है। बच्चों को एक साथ हंसते खेलते अपनी संस्कृति, परंपरा और पौराणिक मान्यताओं के बारे में जानकारी देने के लिए अक्षय तृतीया का त्यौहार मनाया जाता है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्र में इस दिन छोटे बच्चे गुड्डे गुड़ियों की शादी करवाते हैं और भारतीय परंपरा और संस्कृति को सीखने और समझने का प्रयास करते है। इसी माहौल है एक स्वरूप उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में देखने को मिलता है जहां पूजा-पाठ बच्चों को सिखाया जाता है और 12 दिन तक मेला का आयोजन किया जाता है।

जैन धर्म में अक्षय तृतीया क्यों मनाते है? 

आपको बता दें कि यह त्योहार ना केवल हिंदू धर्म में बल्कि जैन धर्म में भी मनाया जाता है। जैन धर्म के पहले तीर्थकर ऋषभदेव ने इस दिन अपने एक साल के उपवास को तोड़ा था। जैन धर्म में भगवान ऋषभदेव का बहुत महत्व है, उन्होंने 1 साल तक कड़ी तपस्या की थी और 1 साल बाद अक्षय तृतीया के दिन ही अपने उपवास को तोड़ा था और गन्ने का रस पिया था।

इस वजह से जैन धर्म में इस दिन गन्ने के रस को पीने की परंपरा निभाई जाती है। यही कारण है कि जैन धर्म में अक्षय तृतीया के दिन उपवास रखा जाता है और अगले दिन गन्ने के रस और अन्य फल के साथ पारण किया जाता है। 

अक्षय तृतीया की कथा 

कुछ पौराणिक कथा के अनुसार अक्षय तृतीया वह दिन है जिस दिन भगवान ने सतयुग का समापन किया था। इसी धन राजा हरिश्चंद्र की सत्यवादी पर पिघल कर भगवान ने सतयुग का समापन कर दिया था और त्रेता युग शुरू हुआ था। कुछ पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और नारायण धरती पर आए थे।

नारायण के धरती पर आने के कारण यह दिन माता लक्ष्मी के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस वजह से इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और यह माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन की बरकत होगी।

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार का महत्व रखता है। यह त्यौहार क्यों इतना महत्व रखता है इसे समझने के लिए इसके महत्व का वर्णन नीचे सूचीबद्ध तरीके से किया गया है – 

  • मध्यप्रदेश और कुछ अन्य क्षेत्रों में अक्षय तृतीया का महत्व इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन बच्चों को अपनी परंपरा और संस्कृति से अवगत करवाया जाता है।
  • राजस्थान और कुछ अन्य भारतीय क्षेत्र में अक्षय तृतीया का महत्व किसानों के लिए बहुत अधिक है क्योंकि उनका मानना है कि गर्मी में फसल कम होती है और इस दिन पूजा करने से उनकी फसल पर बात नहीं होगी।
  • भारत के कुछ क्षेत्र में यह त्यौहार इसलिए महत्व रखता है क्योंकि लोगों का मानना है कि इस दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी जिस युग में भगवान राम ने जन्म लिए था।
  • इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य दान प्रथा को बढ़ावा देना है इस वजह से यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है क्योंकि इस दिन गरीबों को कुछ दान में दिया जाता है जिससे समाज की तरक्की होती है।
  • यह त्यौहार गरीब, किसान, बच्चे और इन सबके अलावा हमारे इतिहास और संस्कृति के नजरिए से बहुत महत्व रखते हैं। 

अक्षय तृतीया कैसे मनाते है? 

आज जमाना मॉडर्न हो चुका है लोग इसे भूलते जा रहे हैं कि किस त्यौहार को कैसे मनाने की परंपरा चल रही है। अगर हम अक्षय तृतीया की बात करें तो इसे उत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। हर जगह पूजा करने की विधि एक समान रखी गई है।

कुछ क्षेत्र में यज्ञ का आयोजन किया जाता है तो कुछ क्षेत्र में मेला का आयोजन किया जाता है। वहीं मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्र में गुड्डे गुड़ियों की शादी का आयोजन किया जाता है। मगर जब हम पूजा करने की विधि की बात करते है तो इस दिन गंगा स्नान किया जाता है। गंगा नदी में डुबकी लगाकर या फिर सुबह सुबह नहाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसके बाद बड़े पैमाने पर दान पुण्य किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन आप जितना ज्यादा दान देंगे माता लक्ष्मी की कृपा आप पर उतना ज्यादा बनेगी।

इसके बाद भारत के कुछ क्षेत्र में मेला का भी आयोजन किया जाता है। अक्षय तृतीया का मेला भव्य तरीके से आयोजित किया जाता है जिसमें अलग-अलग प्रकार के झूले और बाजार लगता है इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है। अक्षय तृतीया का मेला दिन के समय ज्यादा सक्रिय होता है।

निष्कर्ष

आज इस लेख में हमने आपको akshaya tritiya kyu manate hai के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है। इसके अलावा हमने आपको सरल शब्दों में यह भी समझाने का प्रयास किया है कि अक्षय तृतीया का त्यौहार कैसे मनाया जाता है और akshaya tritiya kab hai, अगर दी गई जानकारी आपके लिए लाभदायक है तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें।

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