Ram Ji Kis Jati Ke The – भगवान राम किस जाती के थे?

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Ram Ji Kis Jati Ke The – हिंदू धर्म में भगवान राम का बहुत महत्व है। अयोध्या और राम दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे है। मगर क्या आपको अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र जी के जात के बारे में पता है। किसी भी व्यक्ति का जात उसके पूर्वज के कर्म अनुसार निर्धारित किया जाता है। तो भगवान राम के जात को समझने के लिए आपको उनके वंशावली को समझना होगा।

Ram ki jati kya hai

इसलिए आज का लेख तुलसी रामायण और बाल्मीकि रामायण जैसे रामायण के अलग-अलग संस्करणों से छानबीन करने के बाद लिखा गया है। हमने आपको भगवान राम की जाति (Ram Ji Kis Jati Ke The) और उनके वशावली की जानकारी सूचीबद्ध तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

रामचंद्र जी कौन थे?

रामचंद्र जी अयोध्या के राजा थे। आज से हजारों साल पहले एशिया का बहुत बड़ा हिस्सा भारत के नाम से जाना जाता था जिसकी राजधानी अयोध्या थी। यह भारत नाम राजा रामचंद्र के पूर्वज राजा भरत के नाम पर रखा गया था।

लंबे समय तक रामचंद्र जी पूरे भारत खंड पर राज करते थे। उन्हें हजारों साल बाद भी आज याद रखा गया है क्योंकि उनकी राज्यव्यवस्था बहुत बेहतर थी और उनका व्यक्तित्व इंसान को आज भी एक सर्वोत्तम इंसान बनने का मार्ग दिखाता है। रामचंद्र जी का जीवन पूरी तरह से त्याग पर आधारित है और वह दर्शाता है कि किस प्रकार समाज कल्याण के लिए और इंसानियत को बरकरार रखने के लिए त्याग करना बहुत आवश्यक है। राम जी का जीवन हमे बताता है कि आपका त्याग जितना बड़ा होगा आप उतने महान बनेंगे।

भगवान राम की जाती क्या थी ? Ram Ji Kis Jati Ke The 

हिंदुओं के प्रमुख देवता भगवान राम इक्ष्वाकु वंश के सूर्यवंशी राजा थे। भगवान राम का धर्म हिंदू था, उनके वंश का नाम इक्ष्वाकु था, और उनकी जाति सूर्यवंशी क्षत्रिय जाति कहलाते थी। 

रामचंद्र जी मनु, मांधाता, भरत, कश्यप, जैसे राजाओं की वंशावली से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता का नाम दशरथ था। भगवान राम के दो बेटे हुए एक का नाम लव और दूसरे का नाम कुश हुआ। मगर इसके बाद इस वंशावली का तालमेल थोड़ा बिगड़ गया इस वजह से इसके बाद के राजाओं को याद रखना मुश्किल हो गया। 

भगवान राम की वंशावली

कुछ लोग रामचंद्र जी के परम भक्त है और इस वजह से वे भगवान राम की पूरी वंशावली को समझना चाहते है। हमने आपको भगवान राम के रघुकुल में जन्म लेने वाले सभी राजाओं के नाम नीचे सूचीबद्ध रूप से बताया है – 

  • ब्रह्माजी सृष्टि को बनाने के बाद कुछ लोगों को बनाया, जिसमे से एक राजा मरीचि थे।
  • तो ब्रह्मा जी के पुत्र राजा मरीचि थे और उनके पुत्र कश्यप हुए, उन्ही के नाम पर कश्यप गोत्र चलाया जाता है। 
  • कास्यप के पुत्र विवस्वान हुए और विवासवान के पुत्र मनु हुए। 
  • मनु के पुत्र कुक्षी हुए और इसी तरह आगे बढ़ते हुए बाण, पृथु, त्रिशंकु, युनाश्व हुए।
  • युनाश्व के पुत्र मांधाता हुए जिन्होंने 100 राजशुयज्ञ करवाया था, और राज्य विस्तार के लिए अश्वमेध यज्ञ की शुरुआत की थी।
  • मांधाता के पुत्र सुसंधी और सुसंधी के पुत्र राजा भरत हुए जिनके नाम पर उस समय के सबसे बड़े पृथ्वी के टुकड़े का नाम भारत दिया गया था।  
  • भरत के बेटे असित से साम्राज्य आगे बढ़ा और बहुत सारे राजा आए जिनमें रघु और भागीरथ का नाम भी आता है।
  • इसी तरह बहुत सारे राजा आए और निहुष जन्म हुआ है जिनके बेटे ययाति और उनके बेटे राजा दशरथ हुए।
  • राजा दशरथ के चार बेटे हुए राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न।
  • इसके बाद राजगद्दी पर श्री रामचंद्र जी बैठे और उनके दो बेटे हुए लव और कुश।

जिस तरह यह सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल था उसी तरह चंद्रवंशी क्षत्रिय कुल भी चला था। जिसमे भीष्मा धृतराष्ट्र दुर्योधन जैसे राजा हुए। पांडव और कौरव किस जाति के थे इसे समझने के लिए नीचे वाला लेख पढ़ें।

भगवान राम के वंश का नाम रघुकुल कैसे पड़ा?

जैसा कि हमने आपको बताया भगवान राम सूर्यवंशी क्षत्रिय जाति के थे। उनके कुल का नाम इक्ष्वाकु कुल था। मगर बहुत जगह आप भगवान राम के वंश को रघुकुल के नाम से भी पढ़ेंगे और सुनेंगे।

तो आपको बता दें कि राम से पहले जितने भी राजा इक्ष्वाकु कुल में जन्म लिए उनमें से राजा रघु सबसे पराक्रमी और ताकतवर योद्धा माने जाते थे। जिनके नाम पर पूरे खानदान का नाम रघुकुल पड़ गया था।

इसी तरह रघुकुल में भगवान राम से पहले भागीरथ का जन्म हुआ था जिन की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने गंगा मां (गंगा नदी) को धरती पर भेजा था।

लव और कुश का इतिहास | भगवान राम के बेटे का क्या हुआ?

भगवान राम रघुकुल के जाने-माने आखिरी राजा थे। इसके बाद रघुकुल लगभग खत्म के करार पर पहुंच गया। हालांकि रामचंद्र जी के बेटे बहुत काबिल थे, मगर उनके दोनों बेटे लव और कुश के बाद कोई और अच्छा राजा रघु कुल में जन्म नहीं लिया था। 

कालिदास के द्वारा रचित रघुवंश के अनुसार रामचंद्र जी ने लव को शरावती और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। उस वक्त उत्तर भारत के इलाके को शरावती और दक्षिण भारत के इलाके को कुशावती के नाम से जाना जाता था। आज भारत के छत्तीसगढ़ में स्थित बिलासपुर जिला कुश के कुशावती साम्राज्य की राजधानी थी। 

रामचंद्र की कहानी में एक घटना के मुताबिक कुश को अयोध्या आने के लिए विंध्यांचल पर्वत पार करना पड़ता था जिससे यह पता चलता है कि कुश को दक्षिण भारत का राज्य दिया गया था और लव को उत्तर भारत का राज्य दिया गया था।

दोनों राजाओं के द्वारा दूसरे खंड की एक नई वंशावली शुरू हुई। जिसमें लव के जितने भी वंश चले वह आगे चलकर सिसोदिया राजपूत के नाम से प्रचलित हुए। इसके साथ ही कुश के जितने भी वंश आगे चले वे कुशवाहा राजपूत के नाम से प्रचलित हुए। आज हम सिसोदिया और कुशवाहा दोनों राजपूत कुल को अपने समाज में पाते हैं।

निष्कर्ष

इस लेख में हमने आपको बताया कि राम जी की जाति क्या थी (Ram Ji Kis Jati Ke The) इसके अलावा हमने आपको भगवान राम के बाद चलने वाली पीढ़ी और जाति के बारे में भी बताया है। अगर दी गई जानकारियों को पढ़ने के बाद आप भगवान राम और उनसे आने वाले राजपूत कुल को अच्छे से समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझाव और विचार कमेंट में बताना ना भूलें।

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