Bhagwan Shivji Ka Janam Kaise Hua | शिवजी का जन्म कैसे हुआ

Shivji Ka Janam Kaise Hua
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Shivji Ka Janam Kaise Hua – भगवान भोलेनाथ सभी के आराध्य है, भोलेनाथ को हम भगवान शिव, महादेव, रूद्र जैसे अनेक नाम से जानते है। हम सभी भोलेनाथ की महिमा से अवगत है। मगर आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे कि भगवान शिवजी का जन्म कैसे हुआ। बता दें कि उन्हें स्वयंभू कहा गया है, इसका अर्थ है कि उनका ना कोई जन्म है और ना कोई मृत्यु।

मगर इसके बावजूद हिंदू धर्म के अलग-अलग पुराण में शिव जी के जन्म की अलग-अलग कहानी प्रचलित है। आज हम आपको Shivji Ka Janam Kaise Hua, शिवजी का जन्म कहां हुआ और भगवान शंकर के इतिहास से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी सरल शब्दों में साझा करेंगे।

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भगवान शंकर कौन है?

शिवजी या भोलेनाथ हिंदू धर्म के एक आराध्य देवता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अजन्मे है। मतलब ना उनका जन्म है ना ही उनकी मृत्यु।

मगर पूरी धरती का सही तरीके से संचालन करने के लिए तीन देवता विराजमान है। इसमें भगवान ब्रह्मा को सर्जन करता कहा गया है। अर्थात भगवान ब्रह्मा पृथ्वी की हर वस्तु के रचयिता है उन्होंने हर व्यक्ति और उसके भाग्य को रचा है। उसके बाद भगवान विष्णु पालनहार कहा गया है। इसका अर्थ है भगवान विष्णु धरती के सभी जीव जंतुओं की रक्षा और उनके जीवन को सही तरीके से संचालित करने के लिए कार्य करते है। इसके बाद देवों के देव महादेव को रुद्रावतार के कारण जाना जाता है।

भगवान ब्रह्मा के अनुसार हर चीज की एक अवधि निर्धारित की गई है। जब उस वस्तु की अवधि समाप्त हो जाती है तो उसका नष्ट होना आवश्यक है। इसलिए सृष्टि का संचालन सही तरीके से करने के लिए भगवान शिव अपने रुद्र अवतार से जीजों को नष्ट करते है।

भगवान शिव के नाम

भगवान शिव को अलग-अलग नाम दिया गया है। हर नाम का एक गहरा अर्थ होता है हम आपको भगवान शंकर के उन सभी उत्तम नाम के बारे में नीचे सूचीबद्ध तरीके से बता रहे हैं – 

भगवान शिव के नाम – महाकाल, आदिदेव, किरात, शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय (मृत्यु पर विजयी), त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ, त्रिलोचन [तीन नयन वाले], शशिभूषण आदि है।

शिव का जन्म कब और कैसे हुआ था? | Shivji Ka Janam Kaise Hua

भगवान शिव के जन्म की कथा बताने से पहले हम आपको हिंदू धर्म के वेद के बारे में बताते है। वेद चार प्रकार के होते हैं जिन्हें हिंदू धर्म में सबसे ऊपर रखा गया है। ऋग्वेद में बताया गया है कि भगवान एक है जिन्होंने पूरी सृष्टि का निर्माण किया है उनके किसी भी आदि, अंत, या जन्म की बात नहीं की गई है।

हिंदू धर्म में लोगों के चरित्र को अच्छा बनाने के लिए देवताओं के अवतार की कथा बताई गई। कई बार धरती को पाप मुक्त करने के लिए देवता ने अवतार लिया है। 

इसी प्रकार भगवान शिव को रुद्र अवतार का रूप कहा गया है। ऐसे तो भगवान शिव का कोई भी जन्म या मृत्यु नहीं है। मगर विष्णु पुराण और शिव पुराण में भगवान शिव के जन्म के बारे में थोड़ा सा बताया गया है जिसके आधार पर हम नीचे जानकारी दे रहे हैं।

विष्णु पुराण के अनुसार भगवान ब्रह्मा का जन्म उनके नाभि कमल से हुआ है और भगवान शिव का जन्म उनके माथे के तेज से हुआ है। माथे के तेज से जन्म होने के कारण भगवान शिव हमेशा योग मुद्रा में रहते है।

इस तरह भगवान शिव के जन्म की कथा भागवत पुराण और शिव पुराण में भी बताई गई है। किस पुराण में भगवान शिव के जन्म की कथा क्या बताई गई है उसकी जानकारी नीचे दी गई है।

विष्णु पुराण के अनुसार भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?

विष्णु पुराण के अनुसार भगवान शिव का जन्म भगवान विष्णु के माथे के तेज से हुआ है। जब भगवान विष्णु योग मुद्रा में लीन थे तब उनके नाभि कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई और उनके गहरे योग मुद्रा में माथे के तेज से भगवान शिव का जन्म हुआ।

इसके अलावा विष्णु पुराण एकमात्र ऐसा पुराण है जिसमें भगवान शिव के बाल स्वरूप का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है की भगवान ब्रह्मा को एक बार पूजा करने के लिए एक छोटे से बच्चे की जरूरत थी और उन्होंने इसके लिए तपस्या की जिसके बाद एक छोटा सा बच्चा उनके समक्ष प्रकट हुआ जो खूब रो रहा था। जब उसके रोने का कारण पूछा गया तो बड़ी मासूमियत से उसने बताया कि उसका कोई नाम नहीं है इस वजह से वह रो रहा है। भगवान ब्रह्मा ने उसे बच्चे का नाम रूद्र रखा और उसे पूजा में सम्मिलित होने को कहा मगर वह बच्चा चुप नहीं हुआ क्योंकि उसे वह नाम पसंद नहीं आया।

इस तरह उसे बच्चों को कल 8 नाम दिए गए जिसमें भगवान शिव भी उसका नाम रखा गया। वह आठ नाम कुछ इस प्रकार हैं – रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव 

भागवत पुराण के अनुसार भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?

भागवत पुराण के अनुसार एक बार जब विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच अहंकार के कारण जब लड़ाई हुई तो बीच में जलते हुए खंभे से भगवान शिव का जन्म हुआ और इन दोनों के युद्ध को उन्होंने रोका।

श्रीमद् भागवत पुराण में भगवान शिव के जन्म की ऐसी ही कथा बताई गई है कि उनका जन्म अचानक ब्रह्मा और विष्णु के लड़ाई को रोकने के लिए हुआ था। 

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव का जन्म कब हुआ जब पूरा ब्रह्मांड जलमग्न हो गया था। यह एक बहुत पुरानी कथा है जिसके अनुसार जब पूरी पृथ्वी जलमग्न हो गई थी आकाश, पाताल और पूरा ब्रह्मांड जल में समा गया था, तब उस अपार जल में भगवान विष्णु अपने शेषनाग पर लेटे हुए थे और उनके नाभि कमल से भगवान ब्रह्मा प्रकट हुए जब वे दोनों सृष्टि की रचना पर चर्चा कर रहे थे तब अचानक उस जल में भगवान शिव प्रकट हुए।

भगवान ब्रह्मा ने शिवजी को पहचानने से इनकार कर दिया, मगर भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया और उसके बाद ब्रह्मा जी ने माफी मांगी जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद के रूप में बताया कि जब वह सृष्टि का निर्माण करेंगे तब भगवान शिव उनकी सहायता करेंगे।

इसके बाद जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उन्हें एक पूजा के दौरान बच्चों की जरूरत थी और उन्हें भगवान शिव के आशीर्वाद का याद आया और उन्होंने भगवान शिव को याद किया और एक नन्हा बच्चा जिसे भगवान शिव का बाल स्वरूप कहा जाता है वह उनके समक्ष प्रकट हुआ।

भगवान शिव के पिता कौन हैं?

जैसा कि हम सब जानते हैं भगवान शिव अर्धांगिनी के रूप में भी जाने जाते है। असल में जब भगवान शिव प्रकट हुए तो देवी शक्ति भी मौजूद थी, उसे वक्त उन्हें सदाशिव या काल ब्रह्म का नाम दिया गया। अपने अंदर से देवी शक्ति को दूर करने के लिए अपने शरीर के टुकड़े कर दिए। उनके शरीर का एक टुकड़ा अष्टांगी देवी के नाम से जाना गया तो दूसरा टुकड़ा काल ब्रंभ या सदाशिव के नाम से जाना गया।

इस तरह भगवान शिव के लिए अष्टांगी देवी माता तुल्य और कल ब्रह्म पिता तुल्य माने जाते है। कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले भगवान शंकर जो अंतर्यामी है त्रिकालदर्शी हैं उनके माता-पिता की कहानी यही है।

भगवान शिव कैसे बने?

आमतौर पर माना जाता है कि भगवान शिव रूद्र से बने है। इनके जन्म के बारे में अलग-अलग प्रकार की कहानी प्रचलित है जिसके बारे में हमने ऊपर बताया है।

मगर भगवान शिव के अस्तित्व में आने की एक वास्तविक कहानी भी मौजूद है। इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि मोहनजोदड़ो या  सिंधु घाटी सभ्यता में रुद्र की पूजा की जाती थी। यह रूद्र अपने में एक भयानक व्यक्ति थे, जिनके पास अपार शक्ति थी और उन्हें एक शिकारी या तूफान के देवता के रूप में वर्णन किया गया है।

जब हम वैदिक देवी देवताओं की बात करते हैं तो रुद्र उनमें एक प्रमुख देवता माने जाते है। यह अपने आप में बहुत भयानक दिखते थे और अजीब तरीके से अपना जीवन यापन करते थे उनकी शांति, शक्ति और ज्ञान को देखकर उन्हें पूरे सिंधु सभ्यता में पूजा जाता था।

क्या भगवान शिव का जन्म धरती पर हुआ है?

असल में भगवान शिव के माता-पिता का वर्णन नहीं किया गया है। भगवान शिव के जन्म की अलग-अलग कहानी उपस्थित है। मगर एक कथा काफी प्रचलित है जिसमें भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच बहुत छिड़ जाती है। 

उनके बहस को शांत करने के लिए ब्रह्मांड में अचानक शिवलिंग उत्पन्न होता है। भगवान शंकर वहीं से प्रकट होते हैं और उन दोनों को इस शिवलिंग का छोर ढूंढने के लिए कहते है। इस प्रक्रिया में ब्रह्मा सबसे आगे जाते हैं मगर विष्णु कहीं नहीं जाते वह भगवान शिव की महिमा से अवगत रहते हैं और बताते हैं कि इसे लिंग का कोई अंत नहीं है बल्कि यह ब्रह्मांड की तरह है।

इस तरह श्रीमद् भागवत पुराण शिव पुराण और विष्णु पुराण में भी भगवान शिव की उत्पत्ति की बात कही गई है। मगर कहीं भी भगवान शिव के जन्म के बारे में धरती का वर्णन नहीं किया गया है।

निष्कर्ष

इस लेख में Shivji Ka Janam Kaise Hua के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है जिसे पढ़कर आप आसानी से समझ सकते हैं कि भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ था भगवान शिव का जन्म कहां हुआ था और भगवान शिव के माता-पिता कौन है। हमने आपको सरल शब्दों में त्रिदेव के देवों के देव महादेव के जन्म और जीवन से जुड़ी सभी जानकारी को समझने का प्रयास किया है।

Disclaimer

इस लेख में बताई गई जानकारी इंटरनेट के जरिए प्राप्त की गई है। हमने अलग-अलग जगह से जांच पड़ताल करके इस जानकारी को हासिल किया है अगर आपको किसी प्रकार की समस्या है तो आप हमसे सीधा संपर्क कर सकते हैं।

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