अपनी ही पुत्री से क्यों शादी किया ब्रह्मा जी ने – Brahma Aur Sarswati Ki Kahani

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Brahma Aur Sarswati Ki Kahani सुनने के पीछे लोग जानना चाहते है की ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह क्यों किया।

Brahma Aur Sarswati Ki Kahani

आपको बता दें कि आज से कुछ साल पहले अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह पोस्ट बहुत वायरल हुआ था जिसमें बताया गया था कि ब्रह्मा जी ने अपनी ही बेटी सरस्वती से शादी की थी। आज इस लेख में हम आपको ब्रह्मा और सरस्वती की कहानी सुनाने जा रहे है। इसे पढ़कर आप समझ पाएंगे कि हर जगह प्रचलित इस कथन में कितनी सच्चाई है और ब्रह्मा सरस्वती के बीच क्या संबंध है।

इससे पहले आपको बता दें कि ब्रह्मा और सरस्वती की कहानी उस समय शुरु होती है जब सृष्टि की रचना हो रही थी। हिंदू ग्रंथ के मुताबिक सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी के द्वारा की गई है और इस ब्रह्मांड के पालन कर्ता के रूप में हम भगवान विष्णु को जानते हैं साथ ही भगवान शंकर को सृष्टि के संघारक के रूप में जानते है। अब ब्रह्मा और सरस्वती की कहानी को समझने के लिए हमारे लेख के साथ अंत तक बने रहे। 

Brahma Aur Sarswati Ki Kahani

आप सबको मालूम होगा कि हिंदू धर्म में ब्रह्मा विष्णु और महेश को सृष्टि के निर्माता पालक और संघारक के रूप में जाना जाता है। मगर कमाल की बात है कि आपने पृथ्वी पर विष्णु और महेश (शिव) की बहुत सारी मंदिरे देखी होंगी मगर आपने कभी भगवान ब्रह्मा की मंदिर नहीं देखी होगी। पूरे पृथ्वी में भगवान ब्रह्मा की मूर्ति केवल भारत के पुष्कर में है।

कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान ब्रह्मा की पूजा ना होने का कारण माता सरस्वती से जुड़ा हुआ है। एक वायरल पोस्ट के मुताबिक भगवान ब्रह्मा ने सरस्वती से शादी की थी जो कि उनकी बेटी थी। इस वजह से भगवान ब्रह्मा की पूजा नहीं होती है। इसे अच्छे से समझने के लिए इस प्रश्न को नीचे विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।

आखिर क्यों ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह किया का प्रसंग

एक वायरल पोस्ट के मुताबिक सरस्वती पुराण में भगवान ब्रह्मा और माता पार्वती के विवाह की बात लिखी हुई है। इस प्रसंग के मुताबिक जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण कर रहे थे तो सृष्टि के निर्माण को आगे जारी रखने के लिए ज्ञान की आवश्यकता थी इस वजह से अपने मन से उन्होंने माता सरस्वती का निर्माण किया। सरस्वती की कोई मां नहीं है, उनका जन्म भगवान ब्रह्मा के मन से हुआ है। सरस्वती को ज्ञान की देवी के रूप में जाना जाता है। भगवान ब्रह्मा ने सरस्वती के साथ-साथ सृष्टि का निर्माण किया और सृष्टि के अलग-अलग जीव जंतु पहाड़ जंगल नदी आदि का निर्माण किया।

इस निर्माण प्रक्रिया के दौरान भगवान ब्रह्मा माता सरस्वती के रूप से आकर्षित हो गए। माता सरस्वती ज्ञान की देवी होने के साथ-साथ रूप में भी बहुत आकर्षक थी। मगर सरस्वती का जन्म ब्रह्मा से हुआ है इस वजह से जब भगवान ब्रह्मा सरस्वती की तरफ मोहित हो गए तब देवलोक में उनकी बहुत निंदा हुई। हालांकि इन सबके बावजूद ब्रह्मा ने सरस्वती से विवाह किया और लगभग 100 साल तक पृथ्वी पर जंगल में निवास किया।

पृथ्वी पर सरस्वती के साथ ब्रह्मा जब निवास कर रहे थे तब उन दोनों के जरिए मनु नाम के पुत्र का जन्म हुआ। आगे चलकर मनु की संताने ही मनुष्य जाति के पनपने का कारण बनी। भगवान ब्रह्मा के इस व्यवहार के कारण देवलोक में यह निश्चय किया गया कि भगवान ब्रह्मा की पूजा नहीं की जाएगी।

सरस्वती ने ब्रह्मा को श्राप क्यों दिया?

कुछ सूत्रों के मुताबिक सरस्वती पुराण में बताया गया है कि भगवान ब्रह्मा सरस्वती को अपने मन से उत्पन्न किया था और माता सरस्वती की खूबसूरती पर मोहित हो गए थे। जब सरस्वती माता इस बात को समझ गई तब भगवान ब्रह्मा की नजर से बचने के लिए वो रूप बदलकर धरती पर आ गई। मगर ब्रह्मा जी ने हार नहीं मानी और माता सरस्वती को खोज निकाला।

भगवान ब्रह्मा माता सरस्वती के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहते थे और सरस्वती इसके लिए तैयार नहीं थी, सरस्वती ने ब्रह्मा को श्राप दिया था कि धरती का निर्माण करने के बावजूद धरती पर आप कभी पूजा नहीं होगी। 

ब्रह्मा और सरस्वती का संबंध क्या है?

ब्रह्मा और सरस्वती दोनों ही हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण देवी देवता के पात्र है। इनसे जुड़ी किसी भी जानकारी पर भरोसा करने से पहले आपको वेद पुराण पढ़ना चाहिए। सबसे पहले आपको बता दें कि हिंदू धर्म में की सारी जानकारी वेद में दी गई है। हिंदू धर्म वेद से शुरू होता है। इसके साथ ही वेद में इस तरह की किसी भी देवी देवता का वर्णन नहीं है। हम जितने भी देवी देवता के बारे में जानते हैं उन्हें केवल पुराणों में लिखा गया है।

अब आपको यह भी समझना होगा कि ब्रह्मा और सरस्वती के संबंध को लेकर जो जानकारी दी जाती है उस में कहा जाता है कि इस जानकारी को सरस्वती पुराण से लिया गया है। मगर सरस्वती पुराण नाम का कोई भी पुरानी हिंदू धर्म में मौजूद नहीं है।

हिंदू धर्म में चार वेद और 18 पुराण की बात की गई है। इन 18 पुराणों में सरस्वती पुराण नाम का कोई पुराण मौजूद नहीं है। कुछ बड़े पुराना को उप पुराण में विभाजित भी किया गया है, मगर उप पुराण में भी सरस्वती पुराण नाम की किसी भी पुराण का जिक्र नहीं है। कुछ जगहों पर मत्स्य पुराण की बात की जाती है मगर इस पुराण में भी आपको सरस्वती और ब्रह्मा के विवाह जैसी कोई जानकारी नहीं मिलेगी।

ऐसे में सवाल उठता है कि ब्रह्मा और सरस्वती के बीच कौन सा संबंध है?

इसके लिए आप को समझना होगा कि ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया। अर्थात जब भगवान ब्रह्मा इस सृष्टि का निर्माण करने बैठे तब विष्णु और महेश के अलावा कुछ भी इस दुनिया में मौजूद नहीं था। ऐसे में अगर उन्हें सृष्टि को आगे चलाने के लिए किसी भी पुरुष और स्त्री की आवश्यकता होगी तो उन्हें अपने मन से उसकी रचना करनी होगी। 

इसी वजह से भगवान ब्रह्मा में माता सरस्वती, नारद, मनु, जामवंत, सनक, सनंदन, सनातन और सनत कुमार, भृगु, अत्री का जन्म अपने मन से किया और पृथ्वी को आगे संचालित करने के लिए धरती पर भेजा। इसमें पृथ्वी पर ज्ञान के संतुलन को बनाए रखने के लिए उन्होंने माता सरस्वती को अपने साथ रखा और साथ रहने वाली स्त्री को पत्नी का दर्जा दे दिया गया।

सरस्वती पत्नी है या ब्रह्मा की बेटी?

अगर ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज की रचना भगवान ब्रह्मा ने की है तो बीटी हो या पत्नी दोनों की ही रचना भगवान ब्रह्मा के ही द्वारा संभव थी।

भगवान ब्रह्मा को अगर किसी के साथ विवाह करना था तो इसके लिए भी उन्हें किसी का निर्माण अपने मन से करना पड़ता और उनके मन से उत्पन्न होने के कारण उनका रिश्ता बेटी की तरह भी लगाया जाता है।

हालांकि सृष्टि का निर्माण होने के बाद अलग-अलग घटनाओं के कारण ब्रम्हा का विवाह 5 बार हुआ था इस वजह से उनकी कुल 5 पत्नियां है, जिसमे – सरस्वती, सावित्री, गायत्री, श्रद्धा, मेधा।

ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं होती है?

अपने पृथ्वी पर बहुत सारे मंदिर देखे होंगे हिंदू धर्म की अलग-अलग मंदिरों में आपने अक्सर भगवान विष्णु या भगवान शंकर के मंदिर को देखा होगा। आपने कभी भी भगवान ब्रह्मा के मंदिर को नहीं देखा होगा।

ऐसे में आपको बता दें कि राजस्थान में पुष्कर में भगवान ब्रह्मा का एक मंदिर है। वह मंदिर तीन झील से घिरा हुआ है और माना जाता है कि जहां भगवान ब्रह्मा के कमल से बना है।

प्रचलित कथा के मुताबिक – सृष्टि का निर्माण करने के बाद वज्रनास नाम के एक राक्षस ने धरती पर खूब उत्पात मचाया था। जब इस राक्षस ने भगवान ब्रह्मा के साथ बदतमीजी शुरू की तब ब्रह्मा जी ने वज्रनास का वध कर दिया और इस दौरान उनके कमल के तीन टुकड़े धरती पर आकर गिरे जिससे बड़े-बड़े झील बन गए। आज यह स्थान भारत के पुष्कर नाम के इलाके में है और उस 3 झील को व्याष्ठा, मध्य और कनिष्ठ पुष्कर कहा जाता हैं। 

इन जिलों के निर्माण के कारण वहां पर एक यज्ञ करवाने का निश्चय किया गया। इस यज्ञ में साक्षात भगवान ब्रह्मा बैठने आए थे, मगर एक यज्ञ या पूजा पाठ में पति को पत्नी के साथ बैठना होता है। उस समय भगवान ब्रह्मा की पत्नी सावित्री थी मगर उन्हें आने में काफी विलंब हो रहा था। बहुत देर इंतजार करने के बाद पूजा का मुहूर्त खत्म होने से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने एक सुझाव रखा कि ब्रह्मा जी की शादी इसी पूजा के दौरान कर दी जाए।

इस विचार पर सहमति दिखाते हुए भगवान नारद ने गायत्री नाम की एक स्थानीय लड़की को भगवान ब्रह्मा के साथ विवाह करने के लिए मना लिया। जब इन दोनों का विवाह हुआ और यज्ञ में भगवान ब्रह्मा गायत्री के साथ बैठकर पूजा को संपन्न किया। तभी वहां माता सावित्री आ गई और वह पूरी गतिविधि पर खूब क्रोधित हुई। उन्होंने इस क्रोध में आकर भगवान ब्रह्मा को श्राप दिया कि धरती पर उनकी पूजा कभी नहीं की जाएगी। इसके बाद उन्होंने नारद को शादी के लिए लड़की खोज कर लाने के कारण श्राप दिया की नारद आजीवन कुंवारे रहेंगे।

जब माता सावित्री को पता चला कि यह विचार भगवान विष्णु ने प्रकट किया था तो उनके श्राप से वह भी बच नहीं पाए। माता सावित्री ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वह अपनी पत्नी के वियोग में सालों तक तड़पायेंगे। इसी श्राप के कारण रामअवतार में भगवान विष्णु को माता सीता से बिछड़ने का दुख भोगना पड़ा था।

इसके बाद जब माता सावित्री का क्रोध कुछ कम हुआ तब उन्होंने भगवान ब्रह्मा पर दया दिखाते हुए कहा कि उनकी पूजा धरती पर केवल एक जगह इस पुष्कर में ही हो सकती है। इसके बाद भगवान ब्रह्मा के इस व्यवहार से आहत होकर वह पुष्कर के समीप रत्नागिरी नाम के पहाड़ पर चली गई और हमेशा के लिए तपस्या में लीन हो गई। आज भी रत्नागिरी पहाड़ पर माता सावित्री का मंदिर और उसके ठीक नीचे तीन झील के बीच बसा पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर मौजूद है। इतिहासकारों के मुताबिक आचार्य शंकराचार्य के द्वारा सन 711 में यहां भगवान ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना की गई थी उससे पहले यहां बिना मूर्ति की पूजा होती थी।

FAQ

Q. ब्रह्मा जी ने अपनी बेटी से शादी क्यों की थी?

जब पूरे ब्रह्मांड में कुछ नहीं था तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था और उसके बाद अपने मन से माता सरस्वती को बनाया था जिसे उन्होंने हमेशा अपने साथ रखा। हमेशा ब्रह्मा के साथ रहने के कारण सरस्वती को कुछ लोग उनकी पत्नी मानते हैं तो भगवान ने ब्रह्मा के मन से उत्पन्न होने के कारण उन्हें ब्रह्मा जी की बेटी कहते हैं।

Q. ब्रह्मा जी की कितनी शादी हुई है?

ब्रह्मा जी की कुल 5 शादी हुई है जिसमें सरस्वती, सावित्री, गायत्री, श्रद्धा, मेधा है।

Q. सरस्वती ने ब्रह्मा को क्यों श्राप दिया था?

सरस्वती ने ब्रह्मा को श्राप दिया था इस बात का सबूत किसी भी ग्रंथ या पुराण में मौजूद नहीं है।

Q. ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं होती है?

एक बार अपनी पत्नी माता सावित्री को छोड़कर भगवान ब्रह्मा ने गायत्री नाम की एक लड़की से विवाह करके उसे एक यज्ञ में अपने साथ बैठाया था जिस पर माता सावित्री क्रोधित होती है और ब्रह्मा जी की कभी पूजा ना होने का श्राप देती है।

निष्कर्ष

आज इस लेख में हमने ब्रह्मा और सरस्वती की कहानी (Brahma Aur Sarswati Ki Kahani) के बारे में बताया है। बहुत सारे लोग इस बात पर विचार विमर्श कर रहे थे कि ब्रह्मा और सरस्वती के बीच क्या संबंध है या फिर भगवान ब्रह्मा ने अपनी बेटी से क्यों विवाह किया था तो इन सभी सवालों का जवाब आज के लेख में दिया गया है।

अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारियों को पढ़ने के बाद आप भगवान ब्रह्मा की पूजा क्यों नहीं होती है? सरस्वती ने ब्रह्मा को क्यों श्राप दिया था? सरस्वती और ब्रह्मा के बीच क्या रिश्ता है? और ब्रह्मा जी ने अपनी बेटी से क्यों शादी की थी? जैसे सवालों का सरल उत्तर प्राप्त कर पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ भी साझा करें साथ ही इससे जुड़े अपने विचार या सुझाव कमेंट में बताना ना भूलें। 

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