IPC Section 302 क्या है और कब लगती है? सजा, जुर्माना और जमानत 

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IPC Section 302 – आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको आईपीसी के उस महत्वपूर्ण धारा के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक सामान्य नागरिक के लिए जानना बहुत जरूरी है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि आईपीसी की धारा 302 क्या है और कब लगती है? आईपीसी की धारा 299 और धारा 300 क्या है? कौन-कौन से हत्या के अपराध आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत नहीं आते है? आईपीसी की धारा 302 के तहत सजा क्या है और जमानत लेने के लिए क्या प्रावधान है? 

धारा 302 में हत्या के लिए दंड

आप यह जान लें की आईपीसी की धारा 302 में हत्या के लिए दंड के बारे में बताया गया है न की अपराध के। धारा 302 के अनुसार जो कोई हत्या करेगा, वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

आईपीसी की धारा 302 गंभीर, संगीन और गैर जमानतीय अपराध की श्रेणी में आता है और इसके अंतर्गत दर्ज मुकदमा केवल सत्र न्यायालय द्वारा ही विचारणीय है। आईपीसी में ऐसे कुछ ही धारा है जिसमें सजा के तौर पर मृत्युदंड सुनाये जाने का प्रावधान है, धारा 302 उसी में से एक है।

Must Read : 

धारा 299 और धारा 300 क्या है? 

हमें आईपीसी की धारा 302 के बारे में जानने से पहले आईपीसी की धारा 299 और धारा 300 के बारे में जान लेना चाहिए क्योंकि यही वह धारा है जिसमें हत्या (Murder) के बारे में बताया गया है, जिसका दंड आईपीसी की धारा 302 में वर्णित है। 

आईपीसी की धारा 299 के अनुसार जो कोई मृत्यु कारित करने के आशय से या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से जिसमें मृत्यु हो जाना संभाव्य हो या यह ज्ञान रखते हुए कि यह संभाब्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे, कोई कार्य कर के मृत्यु कारित कर देता है, वह आपराधिक मानव वध का अपराध करता है।

हत्या करने पर धारा 302 कैसे काम करती है? IPC Section 302 

IPC Section 302 में बताया गया है कि एतस्मीन पश्चात अपवादित दशाओं को छोड़कर आपराधिक मानव वध हत्या है यदि वह कार्य, जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई हो, मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया हो, अथवा यदि वह ऐसी शारीरिक क्षति करने के आशय से किया गया हो, जिससे अपराधी जानता हो कि उस व्यक्ति की मृत्यु होना संभाब्य है जिसको वह हानि पहुंचा रहा है, अथवा

यदि वह किसी व्यक्ति को शारीरिक क्षति पहुंचाने के आशय से किया गया हो और वह शारीरिक क्षति जिसमें प्रकृति के मामूली अनुक्रम में मृत्यु करने के लिए पर्याप्त हो। जैसे मोहन को मारने के आशय से श्याम उस पर गोली चलाता है। परिणाम स्वरूप मोहन मर जाता है तो यहां श्याम हत्या का दोषी हुआ और उसे आईपीसी की धारा 302 के तहत सजा दी जाएगी।

धारा 302 कब लागू नही होगी? 

यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि निम्नलिखित परिस्थितियों में आपराधिक मानव वध हत्या नहीं माना जाता है। हत्या के लिए इरादा का होना अत्यंत जरूरी है। नीचे दिए गए कथनों में मानव वध तो है लेकिन इरादा नहीं है। अतः यहां पर धारा 302 लागू नहीं होगा।

  1. निजी रक्षा – यदि अपराधी शरीर या संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार को सद्भाव पूर्वक प्रयोग में लाते हुए विधि द्वारा उस व्यक्ति का मृत्यु कर दें, जिसके विरूद्ध वह प्रतिरक्षा का प्रयोग कर रहा है तो हत्या नहीं माना जाएगा।
  2. लोक सेवक द्वारा कानूनी शक्ति का प्रयोग – आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है यदि वह आपराधी ऐसा लोकसेवक होते हुए या ऐसे लोकसेवक को मदद देते हुए, जो लोक न्याय का कार्य कर रहा है और वैमनस्य के बिना ऐसे कार्य के दौरान किसी की मृत्यु हो जाए।
  3. अचानक लड़ाई एवं उत्तेजना – आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है यदि मानव वध अचानक झगड़ा जनित आवेश की तीव्रता में हुई अचानक लड़ाई में पूर्व चिंतन किए बिना और अपराधी द्वारा अनुचित लाभ लाभ उठाएं बिना किया गया हो।
  4. सहमति – आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है यदि वह व्यक्ति जिसकी मृत्यु की जाए, 18 वर्ष से अधिक आयु का होते हुए,अपनी सम्मति से मृत्यु होना सहन करें या मृत्यु का जोखिम उठाए।

IPC Section 302 में जमानत (Bail) कैसे लें?

आईपीसी की धारा 302 संज्ञेय अपराध होने के कारण अजमानतीय श्रेणी में रखा गया है। इस धारा के अपराधी को जमानत मिलना बहुत कठिन होता है, लेकिन असाधारण परिस्थितियों में अदालत जमानत दे सकती है या डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा जमानत की अर्जी खारिज करने के बाद उच्च न्यायालय (High court) में अर्जी लगाने पर अपराध के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जमानत मिलने की संभावना बन सकती है या खारिज भी हो सकती है। यह अपराध के प्रकृति पर निर्भर करता है।

ऐसी विकट परिस्थितियों में एक अच्छा व अनुभवी वकील ही आपको मार्गदर्शन कर सकता है। आप अपने वकील को घटना की परिस्थितियों और अपने पक्षों को अच्छी तरह से समझाएं। वही आपको अपने अनुभवी कार्यकुशलता से आपको निजात दिला सकता है।

बहुत लोग जानना चाहते हैं कि आईपीसी की धारा 302 के आसामी को जमानत लेने के लिए न्यूनतम समय-सीमा क्या है? दोस्तों, आप यह जान लें कि आईपीसी की धारा 302 एक गैर जमानती अपराध है और भारतीय दंड संहिता में इसके लिए कोई समय – सीमा निर्धारित नहीं है।

FAQ 

Q. भारतीय दंड संहिता की धारा 302 क्या है?

Ans. जो कोई हत्या करेगा, वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

Q. क्या आईपीसी की धारा 302 में जमानत मिल सकती है? 

 Ans. नहीं, आईपीसी की धारा 302 में सामान्य तौर पर जमानत नहीं दी जाती है क्योंकि यह एक गैर जमानती अपराध है लेकिन असाधारण परिस्थितियों में कोर्ट जमानत दे सकती है।

Q. मर्डर केस में सजा कितनी होती है?

Ans. जो भी कोई किसी व्यक्ति की हत्या (मर्डर) करता है, उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास और जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।

निष्कर्ष 

आज के हमारे इस लेख में हमने आपको धारा 302 क्या है और कब लगती है। इस विषय की पूरी जानकारी दी। हमने आपको बताया कि आईपीसी की धारा 302 में जमानत मिल सकती है या नहीं। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारियां महत्वपूर्ण लगी हो और यह जानकारियां आपके लिए लाभकारी रही हूं तो इस लेख को अधिक से अधिक लोगों के साथ साझा अवश्य करें।

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