Sanatan Kya Hai – सनातन का अर्थ है शाश्वत। जो सदा से है, सदा रहेगा। जिसका न आदि है न अंत, वही सनातन है। सनातन मतलब जो लगातार है, निरंतर है। सत्य सनातन है परमात्मा की वाणी। ऐसा क्या है जो सदा से है और सदा रहेगा? भगवान श्री राम का रामायण श्री राम के जन्म से पहले नहीं था तो श्री राम भक्ति सनातन नहीं है।
श्रीमद् भागवत गीता श्री कृष्ण के जन्म से पहले नहीं थी तो कृष्ण भक्ति सनातन नहीं है। देवी पुराण के अनुसार शक्ति ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को बनाया तो यहां भी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की भक्ति सनातन नहीं है। गणेश पूजा भी सनातन नहीं है क्योंकि गणेश जन्म से पूर्व गणेश का कोई अस्तित्व नहीं था। फिर सनातन क्या है जिसका हम जयघोष करते हैं।
सनातन की परिभाषा | Sanatan Kya Hai?
सनातन सत्य है। जो लगातार है निरंतर है जो कभी खत्म होने वाला नहीं है वही सनातन है। प्रश्न यह है की लगातार या निरंतर क्या है? लगातार प्राकृति है,अस्तित्व है जो लगातार और निरंतर है। प्राकृति में जो अहमवृति है वह है लगातार। प्रकृति का अस्तित्व आदि से है और निरंतर है। अस्तित्व का मतलब ही प्रकृति है। इसके रूप समय के अनुसार बदलते रहते हैं लेकिन उसकी मौजूदगी हमेशा बनी रहती है।
अस्तित्व को कुछ पाना होता है, उसे किसी की खोज रहती है उसे किसी को पाना है या यूं कहे तो समय के प्रारंभ से ही उसे कुछ चाहिए होता है। जिसके लिए वो अशांत है, बेचैन है और प्यासी है और यही बेचैनी अहम वृत्ति है। तो कहा जाएगा कि धर्म उसी के लिए है और किसी के लिए नहीं। धर्म का मतलब वह सब कुछ है जो अहमवृती को शांति तक ले जाए।
समय का कोई भी क्षण हो वर्तमान, भूत या भविष्य उन सब चरणों में एक की मौजूदगी अवश्य रहती है और वह है अहम वृति की। जैसे उसकी मौजूदगी निरंतर है वैसे ही उसका धर्म निरंतर है। तुम वह करो जो तुम्हें शांति तक ले जाए वहीं सनातन धर्म हैं। जो अपरिवर्तनशील है वही सनातन है।
सनातन का अर्थ क्या है?
हम लोगों ने उन सब चीजों को सनातन बना दिया जो सनातन है ही नहीं। आचार, विचार, व्यवहार की बातों को हम ने सनातन मान लिया, जो सनातन नहीं है। परिवर्तनशील चीजों को हमने सनातन समझ लिया लेकिन वह सनातन नहीं है। कुछ धार्मिक गतिविधियों को हमने सनातन मान लिया पर वह सनातन नहीं है क्योंकि वह सब परिवर्तनशील है।
नतीजा यह हुआ कि हम सनातन को ही भूल गए। सनातन का अर्थ होता है सब कुछ छोड़कर सत्य को तलाशना और सत्य को तलाशने के प्रति जो चाहत और तड़प होती है वहीं सनातन है। हमें सत्य ज्ञान चाहिए, हमें रोशनी चाहिए। बस यही सनातन है। धर्म, संप्रदाय और मजहबे आती जाती रहेगी, कितनी सभ्यता आई और विलुप्त हो गई, कितने नाम और राज्य बने, विस्तार किए और खत्म हो गए। क्योंकि वे सब सनातन नहीं थे। सनातन कभी मिट नहीं सकता क्योंकि जब तक इंसान है तब तक इंसान की वेदना है और वेदना है तो सनातन है।
सनातन धर्म का वास्तविक अर्थ क्या है
सनातन धर्म जिसे वैदिक या हिंदू धर्म भी कहा जाता है। जो धर्म या जीवन पद्धति बिना किसी को हानि पहुंचाए खुद का और समाज का विकास करें, वही सनातन धर्म है। सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप तक व्यापत रहा है। ॐ सनातन धर्म का पवित्र शब्द और प्रतीक चिन्ह है।
रूढ़ियां और परंपराएं सनातन नहीं है क्योंकि यह सब परिवर्तनशील है। सनातन तो वही है जो लगातार है और उसकी प्यास भी लगातार है और उसकी प्यास को ही मिटाने का नाम सनातन धर्म है। सनातन एक तड़प है और उस तड़प की प्यास को मिटाने का नाम ही सनातन धर्म है।
कोई भी व्यक्ति अपूर्ण होता है या अशांत होता है या बेचैन होता है या भ्रमित होता है या उसको बोध नहीं होता है या कुछ खोज में रहता है। उसे पूर्णता तक पहुंचना है या तृष्णा मिटाना है या ज्ञान प्राप्त करना है। इसको प्राप्त करने के लिए उसमें एक तड़प है, जिसे लगातार बोध की तरफ बढ़ना है, ज्ञान की तरफ बढ़ना है, शांति की तरफ बढ़ना है। यही सनातन धर्म है।
क्या सनातन और हिंदू धर्म एक ही है
वैदिक या हिंदू धर्म को इसलिए सनातन धर्म कहा जाता है क्योंकि यही एकमात्र धर्म है जो ईश्वर, आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है। मोक्ष की अवधारणा इसी धर्म की देन है। मोक्ष से ही आत्मज्ञान और ईश्वर का ज्ञान प्राप्त होता है यही सनातन धर्म का सत्य है।
जन्म और मृत्यु तो मिथ्या है लेकिन मोक्ष सत्य है और मोक्ष से ब्रह्म की प्राप्ति होती है। मोक्ष के अलावा स्वयं के अस्तित्व को पूर्ण करने का कोई उपाय नहीं है। मोक्ष का मार्ग ध्यान, मौन, तप, यम, नियम और जागरण है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष मे मोक्ष अंतिम लक्ष्य है। इसलिए मृत्यु का भय छोड़कर सनातन धर्म का सत्य मार्ग अपना लेना चाहिए अन्यथा अनंत योनियों के अंधकार में भटकते रहना पड़ता है।
सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान, जप, तप, यम, नियम आदि सनातन धर्म के मूल तत्व है। सनातन धर्म में मुख्यता चार वेद है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद। सनातन धर्म में वेदों के आधार पर ही धर्म शास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्ष शास्त्र की रचना की गई है। जिसका उद्देश्य सब कुछ त्याग कर सिर्फ सत्य की खोज करना रह गया वही सनातन धर्म का असली सनातनी है।
जब आप सारी बुराई त्याग कर सच्चाई की खोज में लग जाएंगे तो आप पर लगे धार्मिक लेबल अपने आप अर्थहीन हो जाएंगे। एक सनातनी, धार्मिक व्यक्ति नहीं होता है क्योंकि उसने धर्म के रीति रिवाजों का त्याग कर दिया होता है। सनातन धर्म के अनुसार वेद, परमात्मा द्वारा दिया गया ज्ञान है जो स्वयं परमात्मा की वाणी है और संसार का आदि गुरु परमात्मा ही है।
सनातन धर्म कितना पुराना है?
सनातन वेदों से भी पहले है। सनातन, परमात्मा है और परमात्मा का ज्ञान वेदों में है। सिर्फ सनातन धर्म ही सदा से है सृष्टि के आरंभ से है। सनातन धर्म उस दिन से शुरू हो गया जिस दिन से चेतना ने आंखें खोली। यदि कल लोग वेदों को मानने से इंकार कर दें तो भी कल सनातन धर्म रहेगा। या कभी ऐसा भी हो सकता है कि किसी कारण बस धरती से सारे हिंदू मिट जाए फिर भी सनातन रहेगा।
यही तो सौंदर्य है सनातन धर्म का। सनातन धर्म कभी मिट नहीं सकता क्योंकि यह इंसान द्वारा बनाया हुआ नहीं है। यह परिस्थिति या मनुष्य द्वारा शुरू नहीं हुआ है। जो मिटाने आएगा उसके पास भी एक सनातन की प्यास या वेदना होगी यानी उसके भी अंदर सनातन धर्म मौजूद रहेगा। यहीं तो इस धर्म की खासियत है। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म एक अरब 96 करोड़ 58 लाख 3 हजार 112 वर्ष पुराना है।
सनातन धर्म के संस्थापक कौन हैं?
सनातन धर्म को वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म भी कहा जाता है। सनातन धर्म का वैकल्पिक नाम वैदिक धर्म या हिंदू धर्म भी है। मानव की उत्पत्ति से पहले वेद है और सनातन वेदों से भी पहले है। जब ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई उस समय से सनातन चला आ रहा है। सनातन परमात्मा है, अतः इस धर्म का कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म कब से है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है।
धार्मिक विद्वानों के अनुसार वर्तमान में चल रहे इस धर्म की शुरुआत प्रथम मनु के मन्वंतर से हुई थी। अर्थात विष्णु से ब्रह्मा, ब्रह्मा से रुद्रों एवं प्रजापतियो तथा प्रथम मनु के माध्यम से इस धर्म की स्थापना हुई। विश्व के सभी धर्मों का मूल वेद और मनु ही है।
मनु के बाद अनेकों लोग आए और इस धर्म के ज्ञान को अपने अपने तरीकों से प्रचार प्रसार किया। वेदों का ज्ञान मनुष्य रूप में प्राप्त करने वालों में सर्वप्रथम ऋषि और मनु ही थे और उन्होंने इस ज्ञान को आगे तक बढ़ाया। अतः कहा जा सकता है कि हिंदू धर्म के संस्थापक प्रथम मनु स्वयंभुव मनु हैं।
सनातन धर्म और हिंदू धर्म में क्या अंतर है?
सनातन धर्म और हिंदू धर्म में क्या अंतर है, हम इसकी व्याख्या कर रहे हैं जो निम्नवत है।
- हिंदू कोई धर्म नहीं है यह एक जीवन पद्धति है, जबकि सनातन एक धर्म है। हिंदू जीवन पद्धति सनातन धर्म के नियमों को जीवन में उतारने का प्रयास करता है।
- सनातन धर्म एक शिक्षा है तो उसे प्राप्त करने वाला विद्यार्थी हिंदू है।
- सनातन धर्म का अर्थ अलग-अलग समय में बदलता गया क्योंकि लोगों ने इसे अपने अपने नजरिए से देखने और समझने का कोशिश कि।
- सनातन धर्म, वैदिक धर्म से कई गुना बड़ा था। वैदिक धर्म के समय लोगों ने वेदों और पुराणों के जरिए सनातन धर्म के सीमित ज्ञान ही प्राप्त किया।
- वैदिक धर्म से मिला ज्ञान जब लोगों को पसंद नहीं आया तो नए-नए धर्म का उदय हुआ। जैसे – बौद्ध धर्म, जैन धर्म।
- सनातन धर्म वास्तव में एक समय की तरह है जो समय के अनुसार बदलता रहता है यह कभी समाप्त नहीं हो सकता, सिर्फ उसका रूप परिवर्तन होता है।
- आज दुनिया में जितने भी धर्म है उन सभी धर्मों का ज्ञान और सनातन धर्म के ज्ञान में काफी समानता है क्योंकि यह सभी धर्म सनातन धर्म से ही बने हैं।
- सनातन धर्मी ज्ञान और विज्ञान में बंटवारा नहीं करता बल्कि उन्हें जोड़ता है।
- अगर हिंदू धर्म हमें पूजा करना सिखाता है तो सनातन धर्म उस पूजा से मिले आशीर्वाद से लोगों की सेवा करना सिखाता है।
- सनातन धर्म में ईश्वर की पूजा से ज्यादा ईश्वर के आचरण का महत्व है। हिंदू धर्म एक मार्ग है और इस मार्ग का अंतिम लक्ष्य सनातन धर्म है अर्थात लोगों की सेवा।
सनातन धर्म के नियम क्या है?
परिवार हो या समाज, प्रत्येक के लिए कुछ न कुछ नियम होते हैं। उसी तरह सनातन धर्म के भी कुछ नियम है। आइए जानते हैं सनातन धर्म के 10 नियम क्या है।
- ईश्वर में अटूट विश्वास,
- प्रकृति की उपासना,
- आत्मा की अमरत्व अटूट विश्वास,
- अवतारवाद में विश्वास,
- ईश्वर की विभिन्न देवी देवताओं के रूप में उपासना,
- पुनर्जन्म में विश्वास,
- वेदों में अटूट विश्वास,
- कर्म में विश्वास,
- मूर्ति पूजा में विश्वास,
- मोक्ष की प्राप्ति में विश्वास।
जो सनातन धर्म के नियमों को मानते हैं वही सनातनी हैं अर्थात हिंदू हैं।
सनातन धर्म का महत्व क्या है?
सनातन यानी पुरातन। जो पुरातन है वही सनातन है। दुनिया का पहला धर्म, जिससे विश्व ने चलना सिखा, वह सनातन धर्म। परमात्मा को सनातन कहा गया है।
हम चर्चा करते हैं सनातन धर्म के महत्व की, जो निम्न वत है।
- सनातन वर्णाश्रम धर्म के मूल और सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद है।
- सनातन धर्म विश्व का मार्गदर्शन किया है सनातन धर्म से ही विश्व ने चलना सिखा है। सनातन धर्म के वेद शास्त्र हजारों-लाखों साल पुराने हैं और विश्व इन्हीं वेदों का अनुसरण किया है। वेदों में मानव की हर समस्या का समाधान है। विज्ञान हो या फिर ब्रह्मांड, तकनीक हो या फिर धर्म, सभी बातें आपको सनातन धर्म के इतिहास में मिल जाएंगे।
- सनातन सपेरों का इतिहास नहीं बल्कि सनातन में चांद, सूर्य, मंगल और तारों की हैरान करने वाली रहस्यमई बातें बताई गई है।
- सनातन किसी मत, पंथ या संप्रदाय में भेद नहीं करता है।
- सनातन धर्म भारतीय उपमहाद्वीप तक विस्तृत रहा है और शून्य का आविष्कार तथा सौर ऊर्जा की बातें हजारों साल पहले ही बता दी गई है।
- सनातन धर्म मोक्ष की प्राप्ति हेतु मार्गदर्शन करता है।
- जीवन के पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बारे में बताता है और इसका उद्देश्य ईश्वर के प्रति समर्पण है।
- परमाणु अस्त्र शास्त्र के बारे में वेदों में उल्लेख है तो वहीं जहाज जैसी चीजें रामायण और महाभारत में देखने को मिलती है।
- संपूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तंत्र सनातन धर्म का ही देन है।
- बिना किसी सेटेलाइट या बिना किसी दूरबीन के महर्षि पराशर ने आज से हजारों वर्ष पहले सप्तर्षि तारामंडल पर सटीक जानकारी अपने ग्रंथ में दी है।
सनातन धर्म अथवा हिंदू धर्म की विशेषताएं क्या है?
सनातन धर्म जिसे आज हिंदू धर्म माना जाता है विश्व का सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
- यह धर्म ईश्वर द्वारा स्थापित एवं संचालित है।
- यह सबसे प्राचीन एवं महान धर्म है।
- यह एक ऐसा इकलौता धर्म है जिसमें एक ही धर्म के अंदर विभिन्न मत हैं।
- इस धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने हेतु एक पद्धति नहीं बल्कि अनेकों पूजा पद्धतिया है।
- इस धर्म में ईश्वर की आराधना करने के लिए कोई समय की पाबंदी नहीं है।
- इस धर्म में अन्य धर्मों की स्वीकार्यता ग्राह्य है।
- इस धर्म में अध्यात्म और सन्यास के साथ-साथ धनार्जन का भी महत्व दिया गया है।
- यह एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें 33 कोटि देवी देवता है।
- यह धर्म स्त्री और पुरुष में समानता का भाव रखता है।
- यह धर्म किसी की मृत्यु दिवस पर उल्लास नहीं मनाता है। अनेकों पर्व त्यौहार जन्मदिवस पर रखे गए हैं मृत्यु दिवस पर नहीं। जैसे राम नवमी, जन्माष्टमी आदि।
FAQ
सनातन धर्म क्या है?
शांति, अमन और चैन को अपना नाम और उनका ही अनुसरण करना सनातन धर्म का प्रतीक है।
सनातन धर्म की शुरुआत कब हुई?
सनातन धर्म एक अरब 96 करोड़ 58 लाख 3 हजार 112 वर्ष पुराना है।
क्या सनातन धर्म और हिंदू धर्म एक ही है?
वैदिक या हिंदू धर्म को इसलिए सनातन धर्म कहा जाता है क्योंकि यही एकमात्र धर्म है जो ईश्वर, आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है।
एक व्यक्ति के जीवन में सनातन धर्म का क्या महत्व है?
दुनिया का पहला धर्म, जिससे विश्व ने चलना सिखा, वह सनातन धर्म। परमात्मा को सनातन कहा गया है। इसीलिए एक व्यक्ति के जीवन में सनातन धर्म का बहुत अधिक महत्व है।
निष्कर्ष
इस लेख मे हमने आपको Sanatan Kya Hai के बारे मे बताया है, जिसे पढ़ कर आप हिन्दू धर्म और सनातन धर्म के बारे मे अच्छे से समझ गए होंगे।
इस लेख का उद्देश्य सभी के जीवन में शांति, अस्पष्टता एवं ज्ञान लाना है फिर भी किसी पाठक के मन पर इसका अनपेक्षित प्रभाव पड़ सकता है इसलिए उपयुक्त होगा कि पाठक गण जो 18 वर्ष से कम आयु के हो या जिन्हें किसी प्रकार का मनोरोग आदि संबंधी कोई रोग है या ऐसी किसी अन्य स्थिति में हो जिसके कारण इस लेख को पढ़ने पर असाधारण प्रतिक्रिया शुरू हो जाती हो। उन्हें इस लेख से परहेज करना चाहिए। हम पाठकों के खुशी एवं शांति की अभिलाषा रखते हैं और पाठकों के किसी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक हानि के लिए लेखक किसी प्रकार से उत्तरदाई नहीं होगा। यह लेख विभिन्न स्तरों से संग्रहण कर लिखा गया है। अतः लेखक किसी भी प्रकार का दावा नहीं करता है और किसी भी प्रकार के त्रुटि एवं अशुद्धि का जिम्मेदार नहीं होगा।