Success Story: एक आदिवासी किसान का स्ट्रॉबेरी फैसला निकला गेम चेंजर

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Success Story – आज के समय में ज्यादातर लोग नौकरी के लिए मारे मारे फिर रहे है। वह एक आदिवासी लड़के ने गेम चेंजर काम किया है। इस आदिवासी लड़के ने घर बैठे कुछ ऐसी खेती की जिससे अपने इलाके का सबसे रईस आदमी बन गया।

यह कहानी महाराष्ट्र के पुणे जिले के जुन्नार तालुका के एक आदिवासी किसान रमेश बांगर की है। कुछ समय पहले अपनी खेती से परेशान होकर फसल बदलने का फैसला उन्होंने किया था। उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला किया। इतना सफल रहा की इस बार के फसल से उन्हें लाखों की कमाई हुई है।

Success Story: मजदूर का गेम चेंजर फैसला

₹300 दिहाड़ी पर मजदूरी करने वाला यह शख्स आज अपनी मेहनत से महीने की लाखों की कमाई करने लगा है। ज्यादातर लोग नौकरी के लिए मारे मारे फिर रहे हैं और अपने किस्मत को कोस रहे हैं। लेकिन हम भूल जाते हैं कि इंसान की किस्मत उसके हाथ से लिखी जाती है।

महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले के जुन्नार तालुका से लगभग 90 किलोमीटर दूर कोपरे गांव के काठेवाड़ी किसान ने एक अद्भुत फैसला लिया है। वह ₹300 दिहाड़ी पर मजदूरी करता था, और अपने घर के आसपास कुछ छोटी-मोटी साग सब्जी और धान गेहूं उगाने वाले किसानों की स्थिति को देखा था। उसके पास भी घर के सामने छोटी सी जमीन थी जहां वह कुछ अलग करना चाहता था।

रमेश बांगड़ अपने खेत में धान उगाया करते थे। धान की खेती करते थे बाकी समय खेत खाली पड़ा रहता था। धान की खेती से खाने के लिए कुछ अनाज मिलता था और साल में ₹4000 आते थे। रमेश के मन में यह ख्याल आया कि उन्हें कुछ और खेती भी करनी चाहिए। उन्होंने आज से पहले कभी भी स्ट्रॉबेरी नहीं खाई थी। लेकिन जहां वह दिहाड़ी करते हैं वहां कुछ बच्चों के मुंह से स्ट्रॉबेरी शब्द जरूर सुना था। इसके बारे में उन्होंने छानबीन करना शुरू किया और अपने खेत में स्ट्रॉबेरी उगने का निश्चय किया।

उन्होंने ने 4 महीने पहले 14 क्लस्टर में स्ट्रॉबेरी की खेती की थी। फसल अच्छी भी हुई और जब स्ट्रॉबेरी तैयार हो गई तो उसे निकालकर बेचने की प्रक्रिया को शुरू किया गया। पिछले 12 दिन में उन्होंने जितनी स्ट्रॉबेरी तोड़ी है वह ₹30000 में बिक गई है। उनका मानना है कि आने वाले 4 महीने तक यह स्ट्रॉबेरी निकलते रहेगी और बाजार में बिकते रहेगी जिससे लगभग ₹200000 आ जाएंगे।

परिवार की मेहनत और पहली बार स्ट्रॉबेरी का मजा

रमेश के घर वालों ने बताया कि उन्होंने स्ट्रॉबेरी पहले कभी नहीं देखी थी। रमेश के पास ज्यादा बड़ी जमीन भी नहीं है वह आसपास के किसानों के धान के खेत में मजदूरी करते थे जहां ₹300 दिहाड़ी मिलती थी। घर के लोग छोटी सी जमीन पर कभी धन उगाते थे जिस घर में कुछ अनाज आ जाता था। इस तरह उनका घर चला था उन्होंने कभी भी स्ट्रॉबेरी नहीं खाई थी केवल कभी एक बार इसका नाम सुना था।

सबसे पहले रमेश ने अपने छोटे से जमीन पर कुछ स्ट्रॉबेरी के पेड़ लगाने के बारे में सोचा ताकि घर के लोगों को स्ट्रॉबेरी देखने और खाने को मिल सके। जब महज 14 क्लस्टर की जमीन में उगे हुए स्ट्रॉबेरी से फसल निकलने लगा तो सबके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई।

यह उनके परिवार के द्वारा किए गए मेहनत का फल है कि आज उनका फैसला उनकी जिंदगी बदल दिया है। रमेश अब एक बड़े जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं ताकि उन्हें खूब सारा पैसा मिले और गरीबी के दिन अब खत्म हो जाए।

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